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    ऑपरेशन में लापरवाही: महिला के पेट में छोड़ा आधा मीटर कपड़ा, अस्पताल की डॉक्टर समेत छह पर केस

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 10:36 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के बैक्सन अस्पताल में डिलीवरी के दौरान एक महिला के पेट में आधा मीटर कपड़ा छोड़ने के मामले में डॉ. अंजना अग्रवाल सहित छह लोगों पर एफआईआर द ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। नाॅलेज पार्क कोतवाली क्षेत्र स्थित बैक्सन अस्पताल में डिलीवरी के दौरान महिला के पेट में लगभग आधा मीटर कपड़ा छोड़ने की घटना में बैक्सन अस्पताल की डाॅ. अंजना अग्रवाल, डाॅ. मनीष गोयल, स्वामी, गौतमबुद्धनगर के सीएमओ डाॅ. नरेंद्र मोहन और स्वास्थ्य विभाग के जांच अधिकारी डाॅ. चंदन सोनी, डाॅ. आशा किरन चौधरी सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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    डेल्टा-वन निवासी पीड़िता अंशुल वर्मा पत्नी विकास वर्मा वर्ष 2023 में गर्भवती थीं। 14 नवंबर 2023 में तुगलपुर स्थित बैक्सन अस्पताल की डाॅ. अंजना अग्रवाल ने सिजेरियन से डिलीवरी कराई थी। डाक्टर ने लापरवाही बरतते हुए डेढ़ मीटर कपड़ा अंशुल के पेट के अंदर ही छोड़ दिया था। 16 नवंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद पेट में लगातार तेज दर्द रहने लगा। दर्द से राहत न मिलने पर पीड़िता मायके मुजफ्फरनगर चली गई। दर्द से राहत के लिए मुजफ्फरनगर और ग्रेटर नोएडा के कई अस्पतालों में जांच कराई। जांच रिपोर्ट में आपरेशन के स्थान पर गांठ जैसी दिखी, लेकिन डाॅक्टर को यह संदेह नहीं हुआ कि डिलीवरी के दौरान कोई वस्तु पेट में छूट गई है।

    22 मार्च 2025 को बुखार और पेट दर्द के चलते पीड़िता ने डेल्टा वन स्थित यथार्थ सिटी अस्पताल पहुंची। यहां भी वास्तविक कारण पता नहीं चला। सात अप्रैल को जिम्स अस्पताल में कई जांच कराईं, सभी रिपोर्ट सामान्य बताई गईं। 8 अप्रैल 2025 को नवीन अस्पताल ग्रेटर नोएडा में अल्ट्रासाउंड व कैंसर जांच की सलाह दी गई। 14 अप्रैल 2025 को ग्रेटर नोएडा स्थित कैलाश में डाक्टरों ने पेट में गांठ के आधार पर आपरेशन की सलाह दी। 22 अप्रैल 2025 को डाॅ. संचिता विश्वास ने टीम के साथ ऑपरेशन किया तो आधा मीटर कपड़ा निकला। यह 14 नवंबर 2023 को डिलीवरी आपरेशन के दौरान पेट में छूट गया था।

    पीड़िता का आरोप है कि आपरेशन टीम में डाॅ. अंजना अग्रवाल के पति डाॅ. मनीष गोयल भी शामिल थे। कपड़ा निकलने पर वह पत्नी को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास करने लगे। पीड़िता के पति ने मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डाॅ. नरेंद्र कुमार को लिखित शिकायत दी। सीएमओ ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हुए डाॅ. चंदन सोनी और डाॅ. आशा किरण चौधरी को जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच अधिकारियों ने जानबूझकर करीब दो महीने तक मामले को लटकाए रखा और पेट से निकले कपड़े की एफएसएल जांच भी नहीं कराई।

    पीड़िता का आरोप है डाॅ. अंजना अग्रवाल और उनके पति ने उसे और उसके पति को चुप रहने की धमकी दी। पीड़िता का आरोप है कि लापरवाही के चलते उसे दो बड़ी सर्जरी से गुजरना पड़ा। डाक्टरों ने स्पष्ट किया है कि अब तीसरी सर्जरी संभव नहीं है, जिससे भविष्य में दूसरा बच्चा पैदा करना भी मुश्किल हो गया है। पीड़िता का एक ही बच्चा है, जो बेटी है। वहीं कोतवाली प्रभारी सर्वेश चंद्र का कहना है कि प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की है।

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