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    World Autism Awareness Day 2021 : ऑटिज्म पीडि़तों के ल‍िए द‍िखाना होगा अपनापन, थैरेपी से आएगा सुधार, जान‍िए बीमारी के लक्षण और उपचार

    By Narendra KumarEdited By:
    Updated: Fri, 02 Apr 2021 03:07 PM (IST)

    Treatment of children Suffering from Autism ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए क्यारी नाम से सेंटर शुरू किया। जहां उन्हें लिखना पढ़ना क्रिएटिव कार्य करना सिखाया जाता है। इसके लिए शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। लॉकडाउन से पहले उनके सेंटर में 20 बच्चे आते थे।

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    अपना काम खुद करने की स्थिति में आ जाते हैं।

    मुरादाबाद, जेएनएन। World Autism Awareness Day 2021 : ऑटिज्म दुनिया भर में फैली एक अलग प्रकार की बीमारी है। इससे ग्रसित बच्चे देखने में सामान्य लगते हैं, पर उनका विकास इस विकार के कारण बाधित हो जाता है। वह हमेशा गुमसुम और अपने आप में खोए रहते हैं। वे हर बात को भूल जाते हैं और याद कराने पर भी बात को याद नहीं रख पाते हैं। हालांकि, थैरेपी के माध्यम से कुछ हद तक उनमें सुधार हो सकता है और अपना काम खुद करने की स्थिति में आ जाते हैं।

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    हर साल दो अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म डे मनाया जाता है। मुरादाबाद में ऑटिज्म को लेकर जिया सादमा हैंड इन हैंड संस्था के साथ ही क्यारी नाम से ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए सेंटर चलाती हैं। जहां उन्हें पढ़ना लिखना सिखाया जाता है। इसके साथ ही उनके अंदर की प्रतिभा को निखारकर सक्षम बनाने का प्रयास होता है। पिछले कई सालों से जिया सादमा यह काम कर रहीं हैं।

    अपने बच्चों के साथ दूसरों को दे रहीं ममता की छांव

    जिया सादमा के दो बच्चे इस बीमारी से ग्रसित हैं। बच्चों की भविष्य की चिंता में वह इसके उपचार के लिए दिल्ली सहित कई अन्य बड़े शहरों में भटकती रहीं, पर कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। कोई मदद करने वाला भी नहीं था। तब उन्होंने खुद ही इसकी ट्रेनिंग ली। अपने बच्चों को थैरिपी देना शुरू किया, इसके परिणाम अच्छे रहे और बच्चों में सुधार आया। तब उन्होंने ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों के लिए काम करने की ठानी। हालांकि, शुरुआत में ऐसे बच्चों को पढ़ाने, थैरेपी देने के लिए कोई साथ नहीं आ रहा था। बाद में एक दो अभिभावक उनके साथ जुड़े। तब उन्होंने हैंड इन संस्था की शुरुआत की। यह संस्था ऑटिज्म के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम करती है। धीधे-धीरे वैसे अभिभावक भी जुड़ने लगे, जो अपने बच्चों को ऑटिज्म के कारण समाज से दूर रखते थे। अब उनके पास ट्रेनिंग के लिए मुरादाबाद के अलावा रामपुर, अमरोहा, सम्भल और बिजनौर के माता-पिता आते हैं। सादमा ने बताया कि संस्था को शुरू करने के बाद उनके ने पास 150 से अधिक बच्चे आ चुके हैं।

    लॉकडाउन में खामोश रही क्यारी

    जिया सादमा ने 2018 में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए क्यारी नाम से सेंटर शुरू किया। जहां उन्हें लिखना पढ़ना, क्रिएटिव कार्य करना सिखाया जाता है। इसके लिए शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। लॉकडाउन से पहले उनके सेंटर में 20 बच्चे आते थे। लॉकडाउन में सेंटर बंद रहा। अभी बच्चों का आना शुरू नहीं हुआ है। सादमा ने बताया कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चे भी ठीक प्रकार से केयर करने पर एक आम जीवन जी सकते हैं। जरूरी है कि बचपन से इसे पहचानकर बच्चों को शिक्षित किया जाए।

    क्या है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

    मानसिक विकास में बाधक होता है। हालांकि, इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति मानसिक रोगी नहीं कहा जा सकता, वह दूसरों से अलग खुद में ही खोया रहता है। ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति का विकास रुक जाता है, उसके अन्य कई प्रकार की बीमारियां भी पकड़ लेती हैं। ऑटिज्म के लक्षण अक्सर पहले तीन वर्षों के दौरान पहचान में आने लगते हैं। हालांकि यह तभी संभव है जब माता-पिता को इसके बारे में जानकारी हो।

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