कोहरे की चादर... मौत का पहरा! खादर के गांवों में छिपे हैं शिकारी, बाहर निकलने से पहले ये पढ़ें
मुरादाबाद में कोहरे के कारण खादर के गांवों में खतरा बढ़ गया है। घने कोहरे के चलते दृश्यता कम होने से दुर्घटनाओं का डर है। इसके साथ ही, क्षेत्र में अपर ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का असर सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है। बदलते मौसम के साथ पशु-पक्षी और जंगली पशु भी अपना ठिकाना बदल रहे हैं। अमरोहा, मुरादाबाद और आसपास के जिलों में गंगा खादर व तराई क्षेत्र के गांवों में जंगली पशुओं की आवाजाही बढ़ गई है।
बुधवार सुबह अमरोहा के हसनपुर क्षेत्र में जंगल से भटक कर एक हिरण प्रजाति का सांभर आबादी में घुस आया। घने कोहरे और कड़ाके की ठंड के कारण जंगलों में दृश्यता कम हो जाती है। ऐसे में जंगली जानवर भोजन और खुले रास्ते की तलाश में आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। अमरोहा और मुरादाबाद के साथ-साथ बिजनौर, रामपुर और संभल से सटे खादर क्षेत्र में भी ऐसी घटनाओं की सूचनाएं मिल रही हैं।
खेतों, नलकूपों और गांवों के बाहरी हिस्सों में जंगली सुअर, हिरण और कभी-कभी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं। वन अधिकारी नरेश कुमार बताते हैं कि कोहरे की वजह से दृश्यता बेहद कम हो जाती है। इसका फायदा उठाकर जंगली जानवर आबादी के करीब आ जाते हैं। कोहरे में इंसानों और मवेशियों को समय पर जंगली पशुओं की मौजूदगी का आभास नहीं हो पाता, जिससे टकराव का खतरा बढ़ जाता है।
खासकर सुबह-शाम और रात के समय जोखिम ज्यादा रहता है। खादर क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि ठंड बढ़ने के साथ खेतों में काम करना भी जोखिम भरा हो गया है। पशुपालक भी मवेशियों को खुले में छोड़ने से डर रहे हैं। वन विभाग ने संभावित खतरे को देखते हुए संवेदनशील इलाकों में निगरानी बढ़ा दी है।
बीट कर्मचारियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है और गांवों में मुनादी व जागरूकता के जरिए लोगों को सावधान किया जा रहा है। विभाग का फोकस मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर है, ताकि किसी भी तरह की जान-माल की हानि न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण वन्यजीवों का व्यवहार तेजी से बदल रहा है।
तेंदुए जंगलों में संघर्ष के कारण खेतों में आने लगे हैं। संवेदनशील इलाकों में निगरानी और गश्त बढ़ाई गई है। ग्रामीणों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि मानव और वन्यजीवों के बीच टकराव न हो और दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- रमेश चंद्र, वन संरक्षक, मुरादाबाद मंडल
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