हम सब करें विचार, आखिर कैसे रुकेंगे सड़क हादसे
देश की सड़कों पर हर मिनट एक हादसा होता है और हर चार मिनट में एक मौत ।
मुरादाबाद। देश की सड़कों पर हर मिनट एक हादसा होता है और हर चार मिनट में एक मौत हो जाती है। सालाना करीब सवा लाख लोग सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं का यह आंकड़ा दुनिया में सबसे बड़ा है। यातायात माह पर हादसों से कैसे निपटा जाए, इस पर विचार करने की कड़ी आवश्यकता है।
नियमों की अनदेखी से होते हैं सड़क हादसे
आज की तारीख में ये हादसे किसी चुनौती से कम नहीं। आए दिन होने वाले ये हादसे कोई नए नहीं हैं। इन सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में सेलगभग 70 प्रतिशत लोग 15 से 44 साल की उम्र के होते हैं। हकीकत में ये दुर्घटनायें बिगड़ती परिवहन व्यवस्था एवं सुरक्षा की ¨चताजनक तस्वीर पेश करते हैं। इसके साथ ही तेज गति, शराब पीकर गाड़ी चलाना व हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी इन दुर्घटनाओं के लिए बड़े जिम्मेदार हैं। हालांकि खराब सड़कें, कम रखरखाव वाले वाहन, निम्न दर्जे की सड़क डिजाइन और खराब इंजीनिय¨रग क्वालिटी भी ऐसे कारण हैं जो इन दुर्घटनाओं को बढ़ावा देते हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या भी है कारण इन सब से इतर एक्सीडेंट्स की एक बड़ी वजह सड़क पर वाहनों की बढ़ती संख्या भी है। हम सबको चाहिए कि दुर्घटना के जितने कारणों को हम टाल सकते हैं, कम से कम उन्हें तो टालें ही। यह सच है कि जो फैक्टर चालक के हाथ में हैं उसे तो कण्ट्रोल किया ही जा सकता है, जैसे हेलमेट, फास्ट स्पीड व सीटबेल्ट आदि । इसके साथ ही प्रश्न उठता है कि क्या सड़क की खराब हालत की जिम्मेदारी भी चालक की बनती है। इस तरफ सरकार और सम्बंधित विभागों को नियमित ध्यान रखना होगा। पुलिस की नाक के नीचे ही रोज टूटते हैं नियम
नियमों की बात करें तो जनता तो लापरवाह है ही, लेकिन नियमों का पालन करवाने के लिए पुलिस कितना दायित्व निभाती है, यह सब जानते आज पुलिस की नाक के नीचे होकर जम कर ओवरलो¨डग होते देखी जा सकती है। ऑटो में चार की सीट पर बारह सवारी ढोई जाती हैं। आखिर क्यों इस सब पर नियंत्रण नहीं हो पाता। हर हादसे की हो जांच
हादसा हुआ, खबर छपी, लोगों ने पढ़ा और भूल गए। इसको गंभीरता से लेना होगा। इन हादसों पर लगाम कसे, इसके लिए हर हादसे की जांच आवश्यक रूप से होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी। हादसों के लिए प्रमुख रूप से जिमेदार कारण हादसों के लिए कौन कौन से कारण जिम्मेदार हैं, उन पर ध्यान देते हुए, उन्हें दूर करने करने का प्रयास किया जाना भी आवश्यक है। वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, कुछ खाना-पीना या फिर बाहर किसी चीज की ध्यान भटक जाना भी हादसों का कारण बनता है। इसके अलावा आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं दुर्घटना कर बैठते हैं। इसके अलावा तेज गति में या शराब पी कर गाड़ी चलाना, अचानक कट मार देना, रांग साइड चलना अचानक यूं टर्न ले लेना, ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है। सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है। ड्राइ¨वग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है। इसके अतिरिक्त रात में वाहन चलाना आसान भी नहीं है। इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना दोगुनी होती है। अत: रात में ड्राइ¨वग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें। ओवरटे¨कग को न बनाएं जूनून
हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ही ओवरटेक किया जाए। ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। याद रखें 80 किमी प्रतिघंटा की गति से चलती कार की ब्रे¨कग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर रखनी चाहिए। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन पर ध्यान रखा जाए तो काफी हद तक दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है। यातायात नियमों की दी जानकारी
रामपुर में यातायात माह के चलते एसपी के आदेशानुसार कार्यक्रमों की श्रंखला में सोमवार को सैंट मेरी सीनियर सेकेंड्री स्कूल में कार्यक्रम हुआ। इसमें विद्यार्थियों को सड़क पर चलने के नियम बताये गए। इसके साथ ही बच्चों को दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने को कहा गया। विद्यार्थियों ने इन नियमों का पालन करने का संकल्प लिया।