कुत्तों के काटने से 131 लोगों ने तोड़ा दम
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : कुत्तों के हमलों में 131 लोग पिछले छह वर्षो में अपनी जान गंवा
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : कुत्तों के हमलों में 131 लोग पिछले छह वर्षो में अपनी जान गंवा चुके हैं। यह आंकड़े जिला अस्पताल के हैं। जो जिला अस्पताल में नहीं आए, उनकी संख्या जोड़ी जाए तो कई गुनी हो सकती है। मौत होने की वजह स्वास्थ्य विभाग पीएचसी व सीएचसी पर एंटी रैबीज के टीके उपलब्ध नहीं होना ज्यादा सामने आया है। मरने वालों में अधिकांश देहात क्षेत्र के हैं। इंजेक्शन नहीं मिलते तो झाड़ फूंक कराने वाले के चक्कर में पड़ जाते है और जान से हाथ धो बैठते हैं। निरंतर हो रहे कुत्तों के हमलों पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने कोई सुध नहीं ली है। जिला अस्पताल में जिला प्रशासन से लेकर अन्य तक की सीधी नजर होती है, इसलिए यहां एंटी रैबीज के टीकों की कमी नहीं होती है। पीएचसी व सीएचसी पर आने वाले एंटी रैबीज के इंजेक्शन को बाजार में बेच दिया जाता है। गांव के गरीब परिवार टीके लगाने जिला अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। गरीब झाड़ फूंक कराने सिहाली या अन्य जगह चले जाते हैं। 15 दिन से दो माह के अंदर एंटी रैबीज के टीके नहीं लगाने वालों को हाईड्रोफिबिया हो जाता है और 72 घंटे के अंदर पीड़ित व्यक्ति की मौत हो जाती है। हाईड्रोफोबिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।
जिला अस्पताल के इमरजेंसी में हाईड्रोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति का एक रजिस्टर बना रखा है। वर्ष 2010 से 2016 तक 128 और जनवरी से अब तक तीन हाइड्रोफोबिया की पीड़ित की मौत हो चुकी है।
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ज्योत्सिना पंत ने बताया कि जिला अस्पताल में प्रत्येक दिन 15 नये कुत्ते काटे के पीड़ित व्यक्ति आते हैं, सभी को टीके लगाए जाते हैं। प्रत्येक दिन नये व पुराने मिलाकर 50 से अधिक व्यक्ति को एंटी रैबीज के टीके लगाए जाते हैं। स्टॉक में एंटी रैबीज के काफी टीके उपलब्ध हैं।