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अनोखे बकरे की कीमत 11 लाख रुपये, एक तरह ओम का न‍िशान तो दूसरी तरफ उर्दू में ल‍िखा है मुहम्‍मद

मुरादाबाद मंडल के अमरोहा के गजरौला में एक अनोखा बकरा पल रहा है। इसे देखने के ल‍िए द‍िल्‍ली से भी लोग पहुंच रहे हैं। खास‍ियत की वजह से लगातार बकरे के दाम भी बढ़ रहे हैं। लोग दूर-दूर से इसे देखने के ल‍िए पहुंच रहे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 03:30 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 03:30 PM (IST)
अनोखे बकरे की कीमत 11 लाख रुपये, एक तरह ओम का न‍िशान तो दूसरी तरफ उर्दू में ल‍िखा है मुहम्‍मद
ख्यालीपुर गांव में पल रहा है बकरा।

मुरादाबाद, संवाद सूत्र। अमरोहा के गजरौला क्षेत्र में एक अनोखा बकरा लोगों का ध्‍यान खींच रहा है। दूर-दूर से लोग उसे देखने के ल‍िए पहुंच रहे हैं। इस बकरे की अपनी खास‍ियत है। क्षेत्र के गांव ख्यालीपुर में एक ग्रामीण के यहां पल रहा बकरा इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। बकरे पर कुदरती एक तरफ ह‍िंदी में ओम तो दूसरी तरफ उर्दू में मोहम्मद का नाम लिखने की बात कही जा रही है। इसकी जानकारी होने पर आसपास के गांव के ही नहीं बल्कि दिल्ली तक के खरीदार ग्रामीण के घर पहुंच गए। एक खरीदार द्वारा बकरे की कीमत एक लाख रुपये तक लगा दी गई है।

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गांव निवासी ताराचंद खड़कवंशी के यहां लगभग दो साल का एक बकरा पल रहा है। बकरे के पेट पर एक तरफ ह‍िंंदू धर्म का न‍िशान ओम तो दूसरी तरफ उर्दू में मोहम्‍मद जैसा ल‍िखा हुआ प्रतीत होता है। इसकी जानकारी जब लोगों को हुई तो बकरे को देखने वाले पहुंचने लगे। बकरा स्वामी का दावा है कि हसनपुर के क्षेत्र के गांव अगरोला निवासी ग्रामीण द्वारा बकरे की एक लाख रुपये कीमत भी लगाई गई है।

बकरी की इस खास‍ियत की वजह से कई लोग इससे ज्‍यादा रुपये भी देने को तैयार हो गए हैं लेकिन बकरा स्वामी का कहना है क‍ि इस अनोखे बकरे की कीमत उसने 11 लाख रुपये लगा दी है। इससे कम पर वह इसकी ब‍िक्री नहीं करेगा। बता दें कि बकरा ईद का त्योहार भी नजदीक है। ऐसे में यह बकरा इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। बताते हैं कि इस बकरे को खरीदने के लिए दिल्ली से भी कुछ लोग आए थे। लेकिन सौदा नहीं होने पर वह वापस चले गए। फ‍िलहाल यह बकरा कौतूहल का विषय बना हुआ है।

कुछ मान रहे इत्‍तेफाक तो कुछ कुदरत की देन : बकरे को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ लोग कह रहे हैं बकरे की शरीर इस तरह के न‍िशान महज एक इत्‍तेफाक है, जबक‍ि कुछ का कहना है क‍ि यह कुदरत की देन है। इस बकरे को ह‍िंदू और मुस्लिम की एकता के तौर पर भी देखा जा सकता है।  

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