अंधेर नगरी चौपट राजा: परीक्षा खत्म, कॉपियां हाथ में, पर किसी को नहीं पता- नंबर 30 में से दें या 50 में से?
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक अनोखी स्थिति पैदा हो गई है जहाँ परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी हैं, उत्तर पुस्तिकाएँ जाँच के लिए तैयार हैं, लेकिन किसी को भ ...और पढ़ें

रिजल्ट कार्ड
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। बेसिक शिक्षा विभाग की एक बड़ी प्रशासनिक लापरवाही जूनियर हाईस्कूल के छात्रों पर भारी पड़ सकती है। शैक्षिक सत्र 2025-26 में कक्षा छह से आठ तक कराई गई अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं तय मानक के विपरीत 30 अंकों की बजाय 50 अंकों की करा दी गई।
जबकि नियमानुसार जूनियर स्तर पर अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंकों की होती है और वार्षिक परीक्षा 50 अंकों की। पूरी परीक्षा संपन्न हो चुकी है, लेकिन अब शिक्षक इस बात को लेकर भ्रमित हैं कि मूल्यांकन 30 अंकों में किया जाए या 50 अंकों में। परीक्षा पैटर्न को लेकर अधिकारियों के बयान भी एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं।
कोई प्रश्न पत्र परिषद से आने की बात कह रहा है तो कोई डायट स्तर से माडल मिलने की बात बता रहा है। परीक्षाएं 10 से 15 दिसंबर के बीच हो चुकी हैं। इस दौरान प्रश्न पत्र बच्चों में बांट दिए गए और छात्रों ने अर्द्धवार्षिक परीक्षा मानकर ही उत्तर पुस्तिकाएं भरीं। लेकिन परीक्षा के दौरान भी यह पकड़ में नहीं आया।
अब उत्तर पुस्तिकाएं जांचते समय पता चला कि 30 की बजाय पूर्णांक 50 का है। प्रश्न पत्र में पूरी किताब से प्रश्न पूछे गए, जबकि अर्द्धवार्षिक में सीमित पाठ्यक्रम से ही प्रश्न आने चाहिए थे। जिससे संभावना यह भी है कि भूलवश वार्षिक परीक्षा का प्रश्न पत्र तैयार करा दिया गया।
पूरा सिलेबस पूछे जाने से बढ़ी परेशानी
जूनियर हाईस्कूल स्तर पर मूल्यांकन व्यवस्था के अनुसार, अर्द्धवार्षिक परीक्षा 30 अंक, वार्षिक परीक्षा 50 अंक और दो सत्र परीक्षाएं 10-10 अंकों की होती हैं। पिछले सत्र 2024-25 में यही व्यवस्था लागू थी और रिपोर्ट कार्ड पर अर्द्धवार्षिक का पूर्णांक 30 अंक स्पष्ट रूप से दर्ज है। इस बार भी रिपोर्ट कार्ड प्रारूप में अर्द्धवार्षिक 30 अंक और वार्षिक 50 अंक ही प्रिंट हैं, लेकिन प्रश्न पत्र का पैटर्न मेल नहीं खा रहा।
शिक्षकों का कहना है कि प्रश्न पत्र एनसीआरटी माडल पर आधारित जरूर होता है, लेकिन इस बार पूरे पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे गए हैं। इससे यह आशंका और गहराती है कि प्रश्न पत्र छपाई के समय गंभीर चूक हुई है। हैरानी की बात यह है कि परीक्षा पूरी हो जाने के बाद भी विभाग को इसकी जानकारी नहीं हो सकी।
कक्षा सात में आउट आफ सिलेबस प्रश्न
आउट आफ सिलेबस प्रश्नों का मामले की बात करें तो कक्षा सात में हिंदी का प्रश्न पत्र इसका उदाहरण है। हिंदी विषय के प्रश्न पत्र में प्रश्न संख्या एक में दस उपप्रश्न पूछे गए। इनमें 'राजधर्म पाठ में किस राजा का उल्लेख है?', 'राजधर्म में भरत अयोध्या क्यों लौटे थे?' और 'भरत ने राज्य क्यों अस्वीकार किया?' जैसे प्रश्न शामिल थे, जो निर्धारित अर्द्धवार्षिक पाठ्यक्रम से बाहर बताए जा रहे हैं।
इससे छात्रों पर अतिरिक्त मानसिक दबाव पड़ा और परीक्षा की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हो गए। फिलहाल, परीक्षा हो जाने के बाद उठे इस विवाद ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए तो इसका सीधा असर छात्रों के मूल्यांकन और परिणाम पर पड़ सकता है।
प्रश्न पत्र परिषद से आता है। उसी के आधार पर परीक्षाएं कराई गई हैं। वैसे किसी भी शिक्षक ने अभी तक लिखित शिकायत नहीं की है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी उचित निर्णय होगा, वह लिया जाएगा।
- विमलेश कुमार, बीएसए
डायट से प्रश्न पत्रों का माडल बीएसए कार्यालय को भेज दिया जाता है। वही प्रश्न पत्र प्रिंट कराते हैं। इस संबंध में वही सही जानकारी दे पाएंगे।
- बुद्धप्रिय सिंह, एडी बेसिक
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