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    Great donor of Moradabad: जानिए कौन हैं मुरादाबाद के डा. अरविंद गोयल जिन्‍होंने सरकार को दान कर दी अरबों की संपत्ति

    By Vivek BajpaiEdited By:
    Updated: Wed, 20 Jul 2022 01:48 AM (IST)

    Great donor of Moradabad डा. गोयल का कहना है कि 1995 में वह ट्रेन यात्रा के दौरान जब ठंड से ठिठुरते हुए व्यक्ति को देखा तो मन में उसके प्रति दया का भाव आया इसके बाद उन्होंने उसे अपना कोट और जूते तक दे दिए।

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    Great donor of Moradabad: समाजसेवी डा. अरविंद गोयल।

    मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। शैलेंद्र का लिखा गीत किसी की मुस्कराहटों पर हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार...समाजसेवी और शिक्षाविद् डा. अरविंद गोयल के जीवन का मूल मंत्र है। इस बात को कई जगहों पर अपने संबोधन में स्वीकार भी किया है। हर गरीब और जरूरतमंदों के लिए उनके दिल में केवल प्यार नहीं है, बल्कि दर्द है। वह किसी को परेशानी में नहीं देख सकते। उनका अधिकांश समय दूसरों का दर्द दूर करने में ही निकलता है। पिछले 27 सालों में शायद ही कोई दिन निकला हो, जब उन्होंने किसी मदद न की हो। दूसरों की मदद और सहयोग का जुनून समय के साथ बढ़ता चला गया। वृद्धा आश्रम, अनाथ आश्रम और निश्शुल्क शिक्षा के लिए विद्यालय संचालित करते-करते वह अपनी अरबों की संपत्ति ही दान कर रहे हैं। इच्छा बस इतनी सी है कि उस संपत्ति से गरीबों के बेहतर उपचार और शिक्षा के लिए प्रयोग किया जाए।

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    27 साल पहले लिया गरीबों की सेवा का संकल्प: डा. गोयल का कहना है कि 1995 में वह ट्रेन यात्रा के दौरान जब ठंड से ठिठुरते हुए व्यक्ति को देखा तो मन में उसके प्रति दया का भाव आया, इसके बाद उन्होंने उसे अपना कोट और जूते तक दे दिए। इसके बाद जब उन्हें ठंड लगी तो गरीब का दर्द समझ में आया। इसके बाद से उन्होंने निर्णय लिया कि वह जितना हो सके दूसरों का दर्द दूर करने का प्रयास करेंगे। किसी को ठंड से ठिठुरने नहीं देंगे। यही से उनकी समाजसेवा न केवल उनकी दिनचर्या का हिस्सा बनी, बल्कि जीवन का लक्ष्य भी। इसके बाद से उन्होंने वृद्धा आश्रमों की जिम्मेदारी लेना शुरू कर दिया। वहां रहनी वाली माताओं के लिए वह बेटा बन गए। उन माताओं और डा. अरविंद गोयल के बीच के रिश्ते को समझना है तो एक बार वृद्धा आश्रम जाकर देखें, कैसे एक अनजान व्यक्ति अपने सेवा भाव से अपनों से भी बढ़कर हो जाता है। जब वह वृद्धा आश्रम पहुंचते हैं तो वहां रहने वाली महिलाएं कैसे उन पर अपना दुलार उड़ेलती हैं। गरीबों की सेवा की इसी सोच की वजह से उन्होंने अब संपत्ति दान करने का फैसला किया है।

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    हर रोज निकलते हैं स्कूटी पर: डा. अरविंद गोयल सही मायने में समाजसेवा की परिभाषा को चरित्रार्थ करते हैं। हर रोज सुबह अपनी जेब में रुपये रखकर निकलते हैं। इसके बाद महानगर की सड़कों पर गुजरते हुए रास्ते में जो भी गरीब जरूरतमंद मिलता है,उसकी मदद करते हैं। केवल रुपये देकर नहीं, बल्कि इस प्रकार से उसकी परेशानी मिट जाए। उसे किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े। यह क्रम हर रोज चार घंटे चलता है। इसके बाद घर लौटते हैं और फिर अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। शाम को काम खत्म करने के बाद वृद्धा आश्रम जाना और अपने द्वारा ठुकराए बुजुर्गों के बीच बैठना दिनचर्या का हिस्सा है।

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    जरूरतमंदों की देने पहुंचते हैं सूचना: बहुत से लोग जो दूसरों की मदद करना चाहते हैं, पर उतने सक्षम नहीं होते, वह भी डा. अरविंद गोयल को अपना आदर्श मानते हैं। वह किसी गरीब, बीमार और जरूरतमंद को देखते हैं तो डा. गाेयल के घर जाकर या फोन करके सूचना पता बता देते हैं। इसके बाद सारी जिम्मेदारी डा. अरविंद गोयल स्वयं उठा लेते हैं। बीमार को उपचार के लिए अच्छे अस्पताल में भर्ती कराकर उसका पूरा खर्चा उठाना, किसी की फीस भरना तो किसी के घर पर साल का राशन पहुंचाना सब दैनिक कार्यों में शामिल है।

    सैकड़ों बेटियों की शादी में की मदद: डा. अरविंद गोयल केवल जरूरतमंदों को खाने, फीस और उपचार तक ही सीमित नहीं हैं, वह गरीब परिवार की बेटियों की शादियों की समाजसेवा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। अब तक वह गरीब परिवार की सैकड़ों बेटियों की शादी की जिम्मेदारी उठा चुके हैं।

    बना रखी हैं टीमें: समाजसेवा कार्य के लिए उन्होंने अपनी कई टीम बना रखी हैं। जो तड़के से देर रात तक कार्य करती हैं। किसी टीम को वृद्धा आश्रम की जिम्मेदारी मिली है तो किसी अनाथ आश्रम की। कोई टीम का सदस्य उस घर तक मदद पहुंचाता है जिसकी सूचना डा. गोयल के पास आती है। सूचना के आधार पर बिना किसी फोन नंबर और पते के वह टीम पूरा उसकी जरूरत वाला सामान लेकर घर पहुंच जाती हैं।

    लाकडाउन में बेच दिए कई कालेज: लाकडाउन में जब सभी काम धंधे बंद चल रहे थे। लोगों को मदद की जरूरत थी तब डा. गोयल अपने जीवन की परवाह किए बिना निरंतर सेवा का कार्य करते रहे। वृद्धा आश्रम, अनाथ आश्रम के साथ समाजसेवा कार्य के लिए हर महीने लाखों रुपये का खर्च होता है। ऐसे में सेवा कार्य को जारी रखने के लिए उन्होंने अपने 50 से अधिक कालेज बेच दिए।

    हर साल बांटते हैं हजारों कंबल: ठंड के दिनों में वह हर साल हजारों कंबल वितरित करते हैं। जनवरी 2020 में उन्होंने विशाल कंबल वितरण कार्यक्रम रखा था। बुद्धि विहार फेज टू के पार्क में उन्होंने आयोजन किया। इसके लिए एक महीने पहले से तैयार की गई मुरादाबाद और सीमा से लगते हुए अमरोहा और सम्भल के गांव में मुनादी कराई गई। इसके बाद एक दिन में उन्होंने बीस हजार से अधिक कंबल वितरित किए। पार्क में ट्रक भरकर कंबल पहुंचे। इतना ही नहीं वहां आने वाले लोगों को भोजन के पैकेट वितरित किए गए। उनके दिए गए कंबल सालों साल साथ निभाने वाले होते हैं।