क्या आपकी जमीन भी हो रही है बीमार? पकड़ें मिट्टी की 'नब्ज' और बढ़ाएं बंपर पैदावार!
कृषि विभाग ने मुरादाबाद के किसानों के लिए मिट्टी जांच की सुविधा सस्ती और आसान बनाई है। अब किसान मात्र 102 रुपये में 12 पैरामीटर पर मिट्टी की वैज्ञानिक ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। फसल की घटती पैदावार और बढ़ती लागत से जूझ रहे किसानों के लिए कृषि विभाग ने मिट्टी जांच की सुविधा को आसान और सस्ता बना दिया है। अब किसान अपने खेत की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कराकर यह जान सकते हैं कि जमीन में कौन-से पोषक तत्वों की कमी या अधिकता है और किस फसल के लिए मिट्टी उपयुक्त है।
विभागीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में 12 पैरामीटर पर मिट्टी जांच के लिए मात्र 102 रुपये और छह पैरामीटर पर जांच के लिए 29 रुपये शुल्क तय किया गया है। किसान को खेत से करीब 500 ग्राम मिट्टी का नमूना लेकर प्रयोगशाला में जमा करना होगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर किसानों को उर्वरक की मात्रा, फसल चयन और मिट्टी सुधार को लेकर वैज्ञानिक सलाह दी जाएगी।
इससे अनावश्यक रासायनिक खाद के इस्तेमाल पर रोक लगेगी और खेती की लागत भी कम होगी। शहर के ढक्का क्षेत्र में आश्रय आवासों के पीछे मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जहां किसान सीधे मिट्टी का नमूना जमा करा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर मिट्टी जांच से न केवल पैदावार बढ़ेगी, बल्कि जमीन की दीर्घकालिक उर्वरता भी बनी रहेगी।
प्रभारी सहायक निदेशक मृदा परीक्षण हर्षित चौहान ने बताया कि मिट्टी जांच खेती की पहली सीढ़ी है। किसान बिना जांच के खाद डालते हैं, जिससे मिट्टी बीमार हो रही है। हमारी प्रयोगशाला में सस्ती दरों पर वैज्ञानिक जांच की सुविधा है।
जिले की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की भारी कमी, 120 गांवों की जांच पूरी
जिले में मिट्टी की सेहत को लेकर चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। सरकार द्वारा जिले के 160 गांवों की मिट्टी जांच के लिए चयन किया गया था, जिनमें से अब तक 120 गांवों की जांच पूरी हो चुकी है। शेष 40 गांवों में मिट्टी जांच की प्रक्रिया जारी है। जांच रिपोर्ट में जिले की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की सबसे अधिक कमी पाई गई है।
कृषि विभाग के अनुसार इसका मुख्य कारण रासायनिक खाद का अत्यधिक उपयोग है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी की बीमारी का स्थायी इलाज देसी खाद, गोबर खाद और आर्गेनिक खेती को अपनाना है। जब तक किसान इस तथ्य को नहीं समझेंगे, तब तक मिट्टी की सेहत में सुधार संभव नहीं है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।