उजड़ने के डर से धरने पर बैठे दुकानदार: रोडवेज के सामने 80 दुकानों पर रेलवे ने लगाए लाल निशान, पुलिस तैनात
मुरादाबाद में रोडवेज बस अड्डे के सामने रेलवे की 80 दुकानों को हटाने को लेकर विवाद गहरा गया है। रेलवे ने अतिक्रमण बताकर लाल निशान लगाए हैं और तीन दिन क ...और पढ़ें
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रोडवेज बस अड्डे के सामने बंद दुकानें
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। रोडवेज बस अड्डे के सामने रेलवे की जमीन पर बनी दुकानों को हटाने को लेकर विवाद गहराया गया है। शुक्रवार 26 जनवरी तक स्वयं दुकानें हटाने की मियाद रेलवे की ओर से पूरी हो गई। इस मियाद में दुकानें नहीं हटाईं और दुकानें बंद करके दुकानदार धरने पर बैठ गए।
शुक्रवार को रेलवे प्रशासन ने दुकानों को हटाने के लिए कड़ा रुख अपनाते आरपीएफ व जीआरपी तैनात कर दी। दुकानदारों के विरोध को देखते हुए रेलवे की ओर से तीन दिन का दोबारा अल्टीमेटम दुकानें स्वयं हटाने को दिया है। नगर विधायक रितेश गुप्ता दुकानदारों के समर्थन में उतर आए और धरने में बैठकर रेलवे की इस कार्रवाई का विरोध किया।
नगर विधायक दुकानें हटाने से पहले दूसरी जगह देने पर अड़ गए हैं। इसको लेकर शुक्रवार को डीआरएम संग्रह सिंह से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे और दूसरी जगह देने की मांग की। लेकिन, नगर विधायक व डीआरएम के बीच वार्ता बेनतीजा रही। रेलवे ने आरपीएफ के माध्यम से तीन दिन में दुकानें हटाने की चेतावनी का एनाउंसमेंट करके दी है।
इससे रोडवेज के सामने दुकानदारों में आक्रोश बढ़ गया। सभी दुकानदार रोडवेज के सामने खड़े रहे और व्यापारियों आरपीएफ की टीम से रोजी-रोटी का हवाला दिया। रोडवेज के सामने आरपीएफ, जीआरपी, सिविल पुलिस के साथ सिटी मजिस्ट्रेट विनय पांडे, एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह, सीओ कटघर वरुण कुमार की मौजूदगी में रेलवे की ओर से एनाउंसमेंट कराया गया।
दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें बंद करके खड़े हो गए। नगर विधायक रितेश गुप्ता ने दुकानदारों को आश्वासन दिया कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए किसी को उजाड़ने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंडलायुक्त, जिला प्रशासन और एसएसपी से भी बात हुई है कि दुकानदारों को पहले दूसरी जगह दी जाए।
एनाउंसमेंट के दौरान बड़ी संख्या में दुकानदार और समर्थक मौके पर जमा हो गए। स्थिति को संभालने में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी। करीब एक घंटे तक रेलवे स्टेशन रोड पर यातायात प्रभावित रहा।
रेलवे की ओर से आरपीएफ ने एनाउंसमेंट कर बताया कि यह रेलवे की संपत्ति है और पहले भी नोटिस दिए जा चुके हैं। यदि तीन दिन के भीतर दुकानें नहीं हटाई गईं तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। रेलवे ने कुल 80 दुकानों पर लाल निशान लगाए हैं। एनाउंसमेंट के दौरान कोतवाली और गलशहीद थाना पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में लगी रही।
दुकानदार बोले कि हमारी दुकानें वैध हैं अवैध नहीं
दुकानदारों का कहना है कि वे 50 वर्षों से यहां कारोबार कर रहे हैं। संजय अरोरा समेत कई व्यापारियों ने दावा किया कि जब यह संपत्ति पूर्वोत्तर रेलवे के अधीन थी, तब दुकानों का विधिवत आवंटन हुआ और वर्ष 2003 तक नियमित किराया जमा किया जाता रहा। बाद में संपत्ति उत्तर रेलवे को स्थानांतरित होने के बाद किराया लेने से रेलवे ने इंकार कर दिया।
दुकानदारों के अनुसार उनके पास लीज और अन्य दस्तावेज मौजूद हैं, जबकि कई मामलों में अदालत में केस लंबित हैं और कुछ व्यापारी केस जीत भी चुके हैं। उनका आरोप है कि दस्तावेजों की जांच किए बिना कार्रवाई की जा रही है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि स्टेशन और रोडवेज के सामने यह क्षेत्र पहले से अतिक्रमण के दायरे में है और यातायात व सुरक्षा के लिहाज से कार्रवाई जरूरी है।
रेलवे का दावा है कि चिन्हित दुकानों को कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन अनुपालन नहीं हुआ। इसी कारण अब समयबद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। प्रशासन के अनुसार जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर शांतिपूर्ण ढंग से दुकानों को हटाया जाएगा। दुकानदार संजय अरोरा का कहना है कि हम 50 साल से यहां कारोबार कर रहे हैं।
2003 तक किराया जमा किया गया है, इसके प्रमाण मौजूद हैं। बिना जांच के कार्रवाई से हमारा परिवार सड़क पर आ जाएगा। दुकानदार मनोज कुमार का कहना है कि सभी के पास आवंटन के कागज हैं, लेकिन, रेलवे अधिकारी इनको मानने को तैयार नहीं है। रेलवे के सख्त रुख और दुकानदारों के विरोध के बीच अब अगले तीन दिन निर्णायक साबित होंगे। यह देखना होगा कि क्या बातचीत से कोई बीच का रास्ता निकलता है या रेलवे तय समय सीमा के बाद सख्त कदम उठाता है।
शिवसेना भी समर्थन में उतरी
दुकानों को हटाने के विरोध में शिवसेना के जिला प्रमुख वीरेंद्र अरोरा भी रेलवे स्टेशन पहुंचे और दुकानदारों के समर्थन में खड़े हो गए। शिव सेना के जिला प्रमुख वीरेंद्र अरोरा ने कहा कि रेलवे की हठधर्मिता से 165 दुकानदारों का परिवार संकट में आ गया है। जब इनके पास आवंटन के कागज हैं तो यह वैध दुकानदार हैं। इनको उजाड़ने से पहले दुकानें दी जाएं।
दुकानदारों को हटाने से पहले उन्हें वैकल्पिक जगह देने की मांग डीआरएम से की है। जगह देने तक दुकानदारों को और समय देने पर बातचीत हुई। लेकिन डीआरएम बहुत अधिक समय देने को तैयार नहीं है। कमिश्नर और जिलाधिकारी से भी विस्थापन को लेकर वार्ता हो चुकी है। आसानी से दुकानें नहीं हटने दी जाएंगी।
- रितेश गुप्ता, नगर विधायक
हम शांतिपूर्वक रेलवे की सम्पत्ति से दुकानें हटाने का प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए तीन दिन समय स्वयं दुकानें हटाने को और दिया गया है। जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करके दुकानें हटाई जाएंगी। दुकानों की वजह से जाम की स्थिति बनी रहती है।
- आदित्य गुप्ता, सीनियर डीसीएम
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