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    मरीजों की सेहत से 'खिलवाड़': जिला अस्पताल में बिना जांच बांट दी मसालेदार बिरयानी

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 01:17 AM (IST)

    मुरादाबाद जिला अस्पताल में मरीजों को बिना जांच-पड़ताल के मसालेदार बिरयानी बांटी गई, जिससे उनकी सेहत को खतरा पैदा हो गया। नशा मुक्ति और टीबी वार्ड के स ...और पढ़ें

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    मरीजों के डेग में ब‍िरयानी लेकर जाते कर्मचारी

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। नियम कायदे सब ताक पर रखे जा रहे हैं। अमरोहा की अहाना की जंकफूड सेवन से मौत के बाद देशभर में हलचल मची है। सरकारी संस्थानों में भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लेकिन, मुरादाबाद के मंडलीय अस्पताल में व्यवस्थाओं को ताक पर रख दिया गया। शनिवार की सुबह जिला अस्पताल में बिरयानी बंटवा दी।

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    बिरयानी में तेज मिर्च, मिलावटी रिफाइंड और अन्य मसालों के सेवन को डाक्टर भी मना करते हैं। बावजूद इसके प्रबंधन ने आंखे मूंद लीं। इससे अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर दिया गया। बिना जांच-पड़ताल के मरीजों को बिरयानी का वितरण टेबल लगाकर करा दिया गया।

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    पूछने पर, जवाब मिला मैनेजर कुलदीप ने बिरयानी खाकर चेक की थी। इसके बाद ही वितरण हुआ है। जबकि, अस्पताल में बाहरी लोगों द्वारा इजाजत लेने के बाद मात्र पैक्ड खाद्य पदार्थ का ही वितरण किया जा सकता है। शनिवार सुबह कुछ लोग जिला अस्पताल में बिरयानी से भरा पतीला लेकर पहुंचे। अस्पताल परिसर में पैकिंग या बाहर से लाया गया भोजन मरीजों को बांटने के लिए स्पष्ट नियम हैं।

    इसके तहत संबंधित संस्था या व्यक्ति को पहले अस्पताल प्रबंधन से अनुमति लेनी होती है और भोजन की गुणवत्ता, ताजगी व पोषण संबंधी पहलुओं की जांच भी जरूरी होती है। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अस्पताल से पूछताछ के बाद प्रबंधन ने उन्हें सीधे तीसरी मंजिल पर मरीजों को बिरयानी बांटने के लिए कह दिया।

    तीसरी मंजिल पर जिला अस्पताल का वह वार्ड है, जहां नशा मुक्ति केंद्र (एआरटी सेंटर) के मरीजों के साथ क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित मरीज भी भर्ती रहते हैं। इन मरीजों की सेहत सामान्य मरीजों की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशील होती है। इसके बावजूद बिना किसी चिकित्सकीय सलाह या आहार विशेषज्ञ की अनुमति के उन्हें बिरयानी परोस दी।

    इस घटना के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। मसलन, बिरयानी में किस प्रकार का तेल इस्तेमाल किया गया था। रिफाइंड या कोई अन्य? मसाले कितने तीखे थे और वे मरीजों की सेहत के लिए उपयुक्त थे या नहीं? क्या बिरयानी ताजा बनी थी या रात की बची हुई? ठंड के मौसम में चावल और मसालेदार भोजन का सेवन टीबी के मरीजों के लिए कितना सुरक्षित है।

    इन सभी पहलुओं पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, टीबी, नशा मुक्ति या अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए संतुलित और चिकित्सकीय रूप से अनुमोदित आहार जरूरी होता है। ऐसे में बाहर से लाया गया मसालेदार भोजन उनकी हालत बिगाड़ सकता है। खासकर ठंड के मौसम में चावल और अधिक तेल-मसाले वाला भोजन कई मरीजों में पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।

    हमारे मैनेजर ने स्वयं खाकर देखी है बिरयानी

    पूरे मामले पर जब अस्पताल प्रशासन से सवाल किए गए तो अलग-अलग बयान सामने आए। जिला अस्पताल की अपर निदेशक एवं प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. संगीता गुप्ता ने कहा कि एआरटी सेंटर में नशे से मुक्ति के इलाज के लिए आए मरीजों को संस्था द्वारा वेज बिरयानी का वितरण कराया गया था।

    वितरण से पहले अस्पताल मैनेजर कुलदीप ने खुद बिरयानी चखकर देखी थी, इसके बाद ही इसे मरीजों में बांटा गया। हालांकि, यह दलील कई सवालों को जन्म देती है, क्योंकि किसी एक व्यक्ति द्वारा भोजन चख लेने से उसकी गुणवत्ता, स्वच्छता और मरीजों के लिए अच्छे भोजन के लिए प्रमाणित नहीं होती।

    खुला और बाहरी सामान मरीजों को नहीं दे सकते

    अस्पताल के नियम के हिसाब से मरीजों को बाजार का खुला या बाहर से लाया गया कोई भी खाद्य पदार्थ देने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद बिरयानी का वितरण कर दिया गया, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।

    सवाल यह भी है कि यदि कल कोई और संस्था या व्यक्ति इसी तरह कोई अन्य खाद्य पदार्थ लेकर आ जाए तो क्या उसे भी इसी तरह बिना जांच मरीजों में बांट दिया जाएगा। अब यह मामला केवल बिरयानी वितरण तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी, नियमों के पालन और मरीजों की सेहत से जुड़े सवाल खड़े कर रहा है।

     

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