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    कॉपियां कैसे जांचें? गलत सवाल और गोलमोल जवाब, राम भरोसे बेसिक शिक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 04:32 PM (IST)

    बेसिक शिक्षा विभाग, मुरादाबाद में अर्द्धवार्षिक परीक्षा के पूर्णांक को लेकर असमंजस है। शासनादेश में 50 अंक, जबकि व्हाट्सएप पर 30 अंक मूल्यांकन के निर् ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। बेसिक शिक्षा विभाग की जूनियर कक्षाओं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। परीक्षा के पूर्णांक को लेकर अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं। शासनादेश में जहां अर्द्धवार्षिक परीक्षा का पूर्णांक 50 अंक दर्शाया गया है, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के वाट्सएप ग्रुप पर 30 अंक के अनुसार ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के निर्देश प्रसारित किए जा रहे हैं। दोहरी व्यवस्था ने शिक्षकों को भ्रम में डाल दिया है और अधिकारियों की कथनी-करनी पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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    पिछले कई वर्षों से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं 30 पूर्णांक की ही होती आ रही हैं और परीक्षाफल भी इसी आधार पर तैयार करते आ रहे हैं। इस वर्ष अचानक 50 पूर्णांक का शासनादेश सामने आने से न केवल प्रश्न पत्र उसी आधार पर तैयार कराए गए, बल्कि मूल्यांकन के समय भी शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बन गई। यदि अर्द्धवार्षिक परीक्षा 50 अंकों की मानी जाती है तो वार्षिक परीक्षा के साथ मिलाकर पूरे सत्र का मूल्यांकन 120 अंकों का हो जाएगा, जबकि इस बारे में पहले कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं रहे हैं।

    शासनादेश बनाम वाट्सएप निर्देश

    अधिकारियों का कहना है कि शासनादेश में 50 अंक का ही उल्लेख है, इसलिए प्रश्न पत्र उसी के अनुसार बनाए गए। हालांकि, जब यह सवाल उठता है कि फिर शिक्षकों के वाट्सएप ग्रुप पर 30 पूर्णांक में मूल्यांकन करने का संदेश क्यों भेजा गया, तो अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। इससे यह संदेह भी गहराता है कि कहीं शासनादेश में ही पूर्णांक को लेकर त्रुटि तो नहीं रह गई है।

    बावजूद इसके, विभागीय स्तर पर शासन से स्थिति स्पष्ट कराने की कोई ठोस पहल होती नजर नहीं आ रही। इस असमंजस का सीधा असर मूल्यांकन प्रक्रिया पर पड़ रहा है। शिक्षक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कॉपियों की जांच 30 अंक के आधार पर करें या 50 अंक के अनुसार। इससे विद्यार्थियों के अंकों में असमानता और भविष्य में परिणामों को लेकर विवाद की स्थिति बन सकती है।

    गलत प्रश्नों पर भी निर्देश नहीं

    मामला यहीं तक सीमित नहीं है। कक्षा सात के गणित और हिंदी विषय के प्रश्न पत्रों में गलत प्रश्न पूछे जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं। इन गलत प्रश्नों को लेकर मूल्यांकन कैसे किया जाए, इस पर भी अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में शिक्षक यह समझ नहीं पा रहे हैं कि गलत सवालों पर छात्रों को पूरे अंक दिए जाएं या वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। इससे बच्चों के भविष्य और उनकी मेहनत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

    शिक्षकों का कहना है कि जब तक स्पष्ट आदेश नहीं आते, तब तक मूल्यांकन निष्पक्ष और एकरूपता के साथ करना मुश्किल है। वहीं कुछ अधिकारी यह कहते हुए भी नजर आए हैं कि आठवीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जाना है, इसलिए पूर्णांक कम या ज्यादा होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। स्पष्ट है कि जब तक शासन स्तर से स्थिति साफ नहीं होती, तब तक शिक्षक और छात्र दोनों ही असमंजस में रहेंगे।

     

    शासनादेश में पूर्णांक 50 ही लिखा आया है। इसी के तहत प्रश्न पत्र तैयार कराया गया है। कार्यालय खुलने पर इसको गंभीरता से लेकर सही जानकारी कराई जाएगी।

    - बुद्धप्रिय सिंह, प्राचार्य, डायट

     


    अर्धवार्षिक परीक्षा का पूर्णांक 50 या 30 यह शासन स्तर से पता करेंगे। अभी हम नहीं बता सकते कि शासनादेश में गलती है या ठीक है। गलत सवाल को हटाकर विद्यार्थियों को अंक देने का निर्देश जारी करेंगे।

    - विमलेश कुमार, बीएसए


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