'एक छात्र, एक आईडी' मुहिम सुस्त, निजी स्कूलों और मदरसों में अभिभावक नहीं दे रहे सहमति
मुरादाबाद में 'एक छात्र, एक आईडी' मुहिम सुस्त पड़ती दिख रही है। निजी स्कूलों और मदरसों में अभिभावक इस पहल के लिए सहमति नहीं दे रहे हैं, जिसके कारण कार ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। माता-पिता की सहमति नहीं मिलने से बच्चों की स्कूलों में अपार आइडी नहीं बन पा रही है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में करीब दो लाख 40 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। जिनमें से अब तक 50 प्रतिशत बच्चों की ही अपार आइडी बन पाई है।
इसमें भी शहरी क्षेत्र के निजी स्कूलों के बच्चों के आधार और उनके माता-पिता के आधार में हो रही गड़बड़ियों के अलावा सहमति नहीं मिल पाना शिक्षा विभाग के लिए समस्या बना हुआ है। 2025-26 का सत्र खत्म होने को है अभी भी स्कूलों में बच्चों की शत-प्रतिशत अपार आइडी नहीं बन पाई हैं।
अभी तक विद्यालयों में आइडी बनाने का कार्य चल रहा है। विभाग के पास इस सत्र में अपार आइडी बनाने के लिए 31 दिसंबर तक का समय है। ऐसे में निजी स्कूल और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की ओर से आइडी के लिए संस्तुति नहीं मिल पाने की समस्या आ रही है।
मदरसे और आइसीएसई-सीबीएसई के स्कूल पिछड़े
शिक्षा विभाग के अनुसार, शासकीय विद्यालयों में आइडी बनाने का आंकड़ा 95 फीसदी पूरा हो गया है, जबकि मदरसे और आइसीएसई-सीबीएसई के विद्यालय कार्य में पीछे छूट गए हैं। विभाग के अनुसार अपार आइडी के लिए विद्यालय में माता-पिता के आधार के साथ उनकी संस्तुति का प्रपत्र लगाना होता है। ऐसे में कई अभिभावकों के आधार की गड़बड़ी और संस्तुति नहीं मिल पाने के कारण समस्या आ रही है।
मानव संपदा पोर्टल के धीमा होने से प्रभावित हो रहा कामकाज
शिक्षकों की उपस्थिति, वेतन और अवकाश आदि का ब्यौरा बनाने वाले पोर्टल के धीमे चलने से शिक्षा विभाग के कामों में ढिलाई हो रही है। बुधवार को भी कार्यालयों में मानव संपदा पोर्टल धीमा चलने से अफसर और कर्मचारी परेशान रहे। विभागीय सूत्रों के अनुसार महीने में 20 से 25 तारीख में पोर्टल पर विभाग के शिक्षक और कर्मचारियों की उपस्थिति और वेतन समेत अवकाश आदि का ब्यौरा देना होता है। बेसिक शिक्षा अधिकारी विमलेश कुमार ने कहा कि साइट धीमी चल रही है। विभागीय कार्यों को समय पर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
यह है अपार आइडी
भारत सरकार की ओर से जारी एक विशिष्ट शैक्षणिक पहचान संख्या है, जिसमें किसी छात्र की पूरी शैक्षणिक जानकारी एक ही डिजिटल प्लेटफार्म पर सुरक्षित रहती है। इससे छात्र को कागजी दस्तावेज के बिना भी प्रवेश, छात्रवृत्ति और रोजगार की सुविधा मिल सकेगी।
राजकीय विद्यालयों में अपार बनाने का कार्य 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है। मदरसे और निजी स्कूलों में अभी लक्ष्य 50 प्रतिशत रहा है। अधिकतर परेशानी अशासकीय विद्यालयों में ही आ रही है। जहां आइडी बनाने से पूर्व अभिभावकों से ली जाने वाली संस्तुति नहीं मिल पा रही है।
- देवेंद्र पांडेय, जिला विद्यालय निरीक्षक
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