Great donor of Moradabad: वृद्धाश्रम में रहकर भी नहीं खली बेटे-बेटी की कमी, डा. अरविंद ने सबको बनाया अपना
महानगर के बुद्धि विहार में वैदिक वानप्रस्थ आश्रम में 27 वृद्ध रहते हैं। आश्रम में तमाम लोग मदद के लिए आते हैं। आश्रम में खाने-पीने की कभी कोई दिक्कत नहीं होती है। यहां के वृद्धों को कहना है कि समाजसेवी अरविंद गोयल उनकी माता-पिता की तरह सेवा करते हैं।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। जिन हाथों में लेकर बच्चों को मां-बाप पालकर बड़ा करते हैं,जब उनके हांथ थामने का बारी आती है,तो वह वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा देते हैं। अपनों से ठुकराए लोगों को सालों से गले लगाने का काम शिक्षाविद् एवं समाजसेवी डाक्टर अरविंद गोयल कर रहे हैं। इनकी सुख सुविधाओं का भी पूरा ख्याल रखते हैं। डा.गोयल के संपत्ति दान करने के फैसले से यह बुजुर्ग गद गद हैं। इनका कहना है कि गरीबों के मसीहा से ऐसी ही उम्मीद थी।
महानगर के बुद्धि विहार में वैदिक वानप्रस्थ आश्रम में 27 वृद्ध रहते हैं। आश्रम में तमाम लोग मदद के लिए आते हैं। आश्रम में खाने-पीने की कभी कोई दिक्कत नहीं होती है। यहां के वृद्धों को कहना है कि समाजसेवी अरविंद गोयल उनकी माता-पिता की तरह सेवा करते हैं। वह जो खाना चाहते हैं,उसका इंतजाम कराते हैं। फल,भोजन,कपड़े के साथ ही दवाओं की व्यवस्था कराते हैं। यह आश्रम उनकी मदद से चलता है। यहां बुजुर्ग महिलाओं के रहने के लिए अच्छी व्यवस्थाएं हैं। आश्रम के ज्यादातर बुजुर्ग सरकारी और निजी सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी हैं। बीते 22 सालों से आश्रम में हरियाणा,उत्तराखंड,दिल्ली के साथ ही मुरादाबाद के आस-पास के क्षेत्रों के वृद्ध रहते हैं। उन्हें आश्रम में रहने के दौरान किसी भी चीज की दिक्कत नहीं होती। वृद्धों का प्रतिदिन हाल जानने के लिए स्वयं अरविंद गोयल आश्रम जाते हैं। उनकी समस्याओं को पूछने के साथ ही तत्काल उनका निस्तारण करते हैं।
वैदिक वानप्रस्थ आश्रम के व्यवस्थापक मास्टर काले सिंह ने कहा कि अमरोहा से प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आश्रम में आ गया था। आज तक हमें कभी किसी चीज की कमी गोयल साहब नहीं होने दी। आश्रम के संचालन के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है। सभी आश्रम का संचालन वह स्वयं करते हैं। प्रत्येक वृद्ध से वह सीधे बात करके उसकी प्रत्येक इच्छा को पूरा करते हैं। उन्होंने जो फैसला लिया है,वह सोच-समझकर लिया है। उनके फैसले के साथ हम सभी हैं।
कोटद्वार उत्तराखंड की पिमला नेगी ने कहा कि गरीब असहायों की सेवा का भाव जो उनके अंदर हैं,वह मैने अपने जीवन में किसी और को नहीं देखा। उनके संरक्षण में हम सभी अपना जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने परिवार की कमी कभी नहीं खलने दी। हम उनके हर फैसले का स्वागत और समर्थन करते हैं।
बिजनौर निवासी पवन चड्ढा ने कहा कि संपत्ति दान करने का फैसला करने के लिए बड़ा दिल होना चाहिए। यह फैसला आज के दौर में कोई नहीं ले सकता है। उनकी मदद से इस आश्रम का संचालन हो रहा है। हमें अपनों की तरह मानकर वह सेवा करते हैं। भगवान उनकी लंबी उम्र हो।
कोटद्वार उत्तराखंड की वृद्धा सुषाम ने कहा कि कोई खुश होकर वृद्धाश्रम नहीं आता है। जीवन भर हम अपनों बच्चों के लिए जोड़ते हैं,लेकिन जब सहारे की जरूरत होती है,तो वह भी नहीं मिलता है। हमें यहां आकर परिवार के जैसा ही लगा। गोयल साहब हमारी हर बात को मानकर पूरा करते हैं। उनका हर फैसला सही होता है।
डा. अरविंद गोयल द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में रहने वाली मंजू गर्ग ने बताया कि इस आश्रम में हमें सभी सुख-सुविधा मिलती है। किसी भी परिस्थिति में हमारे खाने-पीने और दवाओं की कोई कमी नहीं होती है। वह सब स्वयं आकर पूरा करते हैं। उनके सेवा के ऋण को कभी उतारा नहीं जा सकता है। वहीं अमरोहा के योगेन्द्र कौर ने कहा कि बीते कई वर्षों में इसी आश्रम में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं। जीवन में बहुत से मोड़ देखेंगे हैं। अपनों को खोने का दर्द भी होता है। लेकिन इस आश्रम में जो अपनापन मिलता है,वह दर्द में मरहम लगा देता है। गोयल साहब हमारी प्रत्येक इच्छा को पूरा कर देते हैं। उनके रहते हमें कभी कोई कमी नहीं हो सकती है। गरीबों और असहायों की सेवा करने का अलग जज्बा उनके अंदर हैं।
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