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    कुत्‍ते की वफादारी : दोस्त लैब्रा की जान बचाने के ल‍िए खून देने अस्पताल पहुंचा गोल्डन रिटीवर

    By Narendra KumarEdited By:
    Updated: Mon, 19 Jul 2021 12:06 PM (IST)

    यूपी के मुरादाबाद एक अनोखी घटना देखने को म‍िली। दो कुत्‍तों की चर्चित दोस्‍ती ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर द‍िया। दोस्‍त बीमार पड़ गया तो उसे खून की जरूरत पड़ गई। ऐसे हालात में एक कुत्‍ते ने आसानी ने रक्‍तदान कर उसकी जान बचा ली।

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    जानवर ने पेश की इंसानियत की मिशाल।

    मुरादाबाद [रितेश द्विवेदी]। जानवरों में अगर वफादारी की बात होती है, तो सबसे पहले जुबां पर कुत्ते का नाम आता है। कई बार यह जानवर अपनी जान पर खेलकर मालिक की जान बचाता है। लेकिन, शहर में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक छोटे कुत्ते की जान बचाने के लिए दूसरा कुत्ता ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पताल पहुंचा। बड़ी आसानी से साथी को बचाने के लिए रक्तदान किया। डाक्टर भी कुत्ते की वफादारी को देखकर हैरान थे। डेढ़ माह के लैब्रा प्रजाति के कुत्ते का नाम सिंबा हैं, जबकि उसको बचाने के लिए ब्लड डोनेट करने वाले गोल्डन रिटीवर प्रजाति के कुत्ते का नाम जैक है।

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    बुधबाजार निवासी हनी सहगल ने बताया कि कुछ दिनों पहले  वह लैब्रा प्रजाति का कुत्ता घर लाए थे। उन्होंने उसका नाम सिंबा रखा था। पड़ोस में रहने वाले संजय मदान के पास गोल्डन रिटीवर प्रजाति का एक कुत्ता है, जिसका नाम जैक है। सुबह दोनों अपने-अपेन कुत्ताें को टहलाने निकलते। इसी दौरान सिंबा और जैक में दोस्ती हो गई। दोनों जब मौका मिलता साथ ही रहते। शाम होते ही घर के सामने पार्क में दोनों एक साथ खेलते हैं। उनके आकार में बहुत अंतर होने के बावजूद अच्छी दोस्ती के कारण उनकी दोस्ती के चर्चे पूरे मुहल्ले में होने लगे। सिंबा को जैक बच्चे की तरह ही प्यार करता। बीते एक सप्ताह से सिंबा की तबीयत अचानक खराब हो गई। जिसके बाद अलग-अलग डॉक्टरों से उसका इलाज चल रहा था। इस कारण से वह खेलने के लिए पार्क में नहीं आ रहा था। वहीं सिंबा के न आने से जैक भी मायूस रहने लगा था। हनी सहगल सिंबा का इलाज रामगंगा विहार स्थित पशु चिकित्सक बीबी सिंह के अस्पताल में करा रहे थे। जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि सिंबा में हीमोग्लोबिन की कमी है, ऐसे में 24 घंटे अगर उसे ब्लड नहीं चढ़ाया गया, तो उसकी मौत हो सकती है। संजय मदान को जब इसकी जानकारी हुई तो तो वह जैक को लेकर ब्लड डोनेट कराने के लिए अस्पताल पहुंच गए। अस्पताल में जब जैक ने सिंबा को बेसुध देखा तो वह परेशान होकर उसके पास जाने के लिए जोर लगाने लगा। बड़ी मुश्किल से उसे रोका। इसके बाद डॉक्टर ने जैक के शरीर से करीब 60 एमएल ब्लड निकालकर सिंबा को चढ़ाया, इसके बाद उसकी हालत में सुधार हुआ। इस दृश्य को देखकर दोनों कुत्तों के मालिक भी भावुक हो गए।

    दुर्लभ होते हैं इस प्रकार के मामले : मामले की जानकारी देते हुए पशु चिकित्सक बीबी सिंह ने बताया कि कुत्तों को आसानी से ब्लड नहीं चढ़ाया जा सकता है। जब डोनर और रिसीवर के ब्लड की सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) जांच पूरी हो जाती है, इसके बाद ही ब्लड चढ़ाया जाता है। अगर किसी के ब्लड में इंफेक्शन होता है तो ब्लड नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कुत्ते के जीवन में केवल एक बार ही ब्लड चढ़ाया जा सकता है। इंडिया में दूसरी बार ब्लड चढ़ाने की सुविधा नहीं। वहीं प्रत्येक कुत्ते का ब्लड मैच भी नहीं करता है। बहुत कम ही ऐसे मामले हाेते हैं, जब कुत्ते को ब्लड चढ़ाने की स्थिति सामने आती है।

    परिवार के लोग हुए खुश : जैक के ब्लड डोनेशन के बाद परिवार के लोग भी खुश हैं। संजय मदान ने बताया कि जैसे वह अपने बेटे को प्यार करते हैं, उतना ही जैक को भी करते हैं। उसकी किसी भी सुविधा में कोई कटौती नहीं होती है। वहीं घर में परिवार के सदस्य की तरह ही जैक रहता है। उनके बच्चे में जैक को परिवार की सदस्य की तरह ही प्यार करते हैं।

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