तीन बच्चों की मां रेशू गोयल ने किया CCSU टॉप, दीक्षा समारोह में मिलेंगे दो गोल्ड मेडल, यह है इनकी सफलता का राज
Meerut News मेरठ की रेशू गोयल ने साबित किया है कि शादी और बच्चे शिक्षा में बाधा नहीं हैं। उन्होंने एमए योगा साइंस में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय टाप किया है। 22 सितंबर को विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में उन्हें दो स्वर्ण पदकों से सम्मानित किया जाएगा। रेशू ने योग से प्रेरणा ली और परिवार के समर्थन से यह मुकाम पाया।

राजेंद्र शर्मा, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कई मेधावी छात्राओं ने स्वर्ण पदक के लिए चयनित होकर एक नया स्वर्णिम इतिहास रच दिया है। मार्ग में बाधाएं आई, लेकिन कड़ी मेहनत एवं नियमित अध्ययन के बल पर लक्ष्य को प्राप्त किया। इनमें रेशू गोयल का नाम भी शामिल है।
तीन बच्चों के जन्म के बाद शुरू की पढ़ाई
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCSU Meerut) परिसर की एमए योगा साइंस की मेधावी छात्रा रेशू गोयल उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा हो सकती हैं, जो कहती हैं कि शादी के बाद फिर पढ़ाई नहीं होती। छात्रा रेशू ने शादी व तीन बच्चे होने के करीब 13 साल बाद अपनी पढ़ाई ही नहीं की। वरन एमए योगा साइंस में टॉपर बनकर कुलपति समेत दो स्वर्ण पदक भी अपने नाम करा लिए हैं। सीसीएसयू के दीक्षा समारोह में 22 सितंबर को उन्हें कुलपति व जयलाल गुप्ता स्मृति स्वर्ण पदक मिलेगा।
योगा साइंस की दो साल की पढ़ाई कर उन्होंने 78.4 प्रतिशत अंक लाकर विश्वविद्यालय टॉप किया है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार भूड़बराल में रहता है। वर्ष-2010 में उसकी शादी जागृति विहार निवासी अवनीश गोयल से हुई। शादी के बाद तीन बच्चे हुए। इनमें बेटी नव्या 13 साल, बेटा ईशु 11 साल व बेटी श्रुति 9 साल की है।
शादी से पहले दो विषयों में किया था एमए
शादी होने से पहले उसने दो विषयों में एमए किया हुआ था। इनमें अर्थशास्त्र में 68 व एजुकेशन में 70 प्रतिशत अंक पाए थे। बच्चे होने के बाद वह बीमार रहने लगीं। तब योग शिक्षिका प्रमिला सिंह ने योग करने के लिए प्रेरित किया। जिस पर वह पूरी तरह ठीक हो गईं। इसके बाद उनका मन पढ़ाई करने का होने लगाया। तब पति को अपनी इच्छा बताई तो पूरे परिवार ने सपोर्ट किया।
जिस पर एमए योगा साइंस में में ही पढ़ाई शुरू की। धीरे-धीरे पढ़ाई में खूब मन लगने लगा। उसका परिणाम यह है कि 78 प्रतिशत से अधिक अंक पाए। उनका कहना है कि इस खुशी को वह शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकतीं। वह अपनी सफलता का श्रेय परिवार के सपोर्ट, समय प्रबंधन और गुरुजन को देती हैं। उनका कहना है कि यदि इच्छा है तो महिलाओं को विवाह के बाद पढ़ाई नहीं छोड़नी चाहिए। मेहनत से सब कुछ संभव है।
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मेधा के आगे अदिति ने परिवार के आर्थिक संकट को नहीं आने दिया आगे
समारोह में कुलाधिपति व कुलपति स्वर्ण पदक पाने जा रही मेधावी अदिति ने अपनी मेधा के आगे परिवार के आर्थिक संकट को कहीं आगे नहीं आने दिया। उन्होंने एमएससी एजी एंटोमालाजी विवि कैंपस से 95.5 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। उन्हें कुलाधिपति स्वर्ण पदक व कुलपति स्वर्ण पदक प्रदान किया जाएगा। वह वाराणसी निवासी हैं।
दिवंगत मां का सपना शिवानी ने किया पूरा
कुलपति समेत तीन स्वर्ण पदक पाने जा रही शिवानी शर्मा ने कोरोनाकाल में मां को खो दिया। उस समय केवल 12वीं पास की थी। इसके बावजूद पढ़ाई पर असर नहीं पड़ने दिया। बीएससी में डीएन कालेज गुलावठी टाप किया।
अब एमएससी फिजिक्स में पूरे सीसीएसयू को टाप किया। परिवार में दो बहनों वाली शिवानी की मां कहती थीं कि 'बेटी तू ही मेरा बेटा है, इसलिए तू ही मेरा नाम रोशन करना। मां के सपने को बेटी ने आखिर पूरा कर दिखाया।'अन्य बेटियों की भी संघर्ष वाली कहानियां हैं। खास बात यह है कि इन सभी बेटियों ने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर पढ़ाई पर पूरा फोकस किया और गोल्डन गर्ल बनी।
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