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    तीरंदाजी में नजदीक के टारगेट पर कठिन क्यों होता है निशाना लगाना, जानने के लिए पढ़ें यह खबर

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:40 PM (IST)

    Meerut News मेरठ में सीबीएसई उत्तर भारत तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल द्वारा आयोजित चार दिवसीय स्पर्धा में तीरंदाज अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। प्रतियोगिता में विभिन्न आयु वर्गों के लिए अलग-अलग दूरी के लक्ष्य निर्धारित हैं जिसमें रिकर्व कंपाउंड और इंडियन राउंड शामिल हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तीरंदाज इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं।

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    तीरंदाजी में नजदीक के टारगेट पर कठिन क्यों होता है निशाना लगाना

    जागरण संवाददाता, मेरठ। सीबीएसई की उत्तर भारत तीरंदाजी प्रतियोगिता सोमवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के खेल मैदान पर शुरू हुई। सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल की ओर से आयोजित इस चार दिवसीय प्रतियोगिता में पहले दो दिन इंडियन राउंड की स्पर्धा होगी। अंतिम दो दिन रिकर्व और कंपाउंड राउंड की स्पर्धा स्कूल परिसर में आयोजित की जाएगी।

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    अलग आयु वर्ग अलग-अलग लक्ष्य

    तीरंदाजी प्रतियोगिता में अलग-अलग आयु वर्ग के लिए अलग-अलग दूरी के लक्ष्य निर्धारित होते हैं। अंडर-19 आयु वर्ग में रिकर्व राउंड के लिए तीरंदाजों को दो बार 70-70 मीटर के लक्ष्य पर तीर से निशाना लगाना होता है। एक बार में 36 तीर चलाते हुए दो बार में 72 तीर चलाकर तीरंदाजों को कुल 720 अंक अर्जित करने के अवसर मिलते हैं। 720 अंकों में से सर्वाधिक अंक पाने वालों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय रैंक मिलती है।

    इसी तरह कंपाउंड राउंड में 50-50 मीटर की दूरी और इंडियन राउंड में 50 व 30 मीटर की दूरी पर लक्ष्य साधने होते हैं। अंडर-17 आयु वर्ग में रिकर्व में 60-60 मीटर के टारगेट, कंपाउंड में 50-50 मीटर पर टारगेट और इंडियन राउंड में 40 व 30 मीटर पर टारगेट रहेंगे। अंडर-14 आयु वर्ग में रिकर्व में 60-60 मीटर, कंपाउंड में 50-50 मीटर और इंडियन राउंड में 30 व 20 मीटर दूर टारगेट रहेंगे।

    नजदीक के टारगेट पर कठिन है निशाना लगाना

    उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के संयुक्त सचिव योगेंद्र सिंह राणा के अनुसार दूर के लक्ष्य की तुलना में नजदीक के लक्ष्य पर निशाना साधना तीरंदाजी में कठिन होता है। पहले तीरंदाजी में चार राउंड की प्रतिस्पर्धा होती थी। इनमें 90, 70, 50 और 30 मीटर दूरी पर लक्ष्य रखे जाते थे। यह तीनों तरह की प्रतियोगिता में था। अब केवल इंडियन राउंड में ही दूरी कम की जाती है। दूर टारगेट रहने पर साइट (लक्ष्य देखने वाले उपकरण व उसकी सेटिंग) नीचे होता है।

    इसमें साइट निर्धारित करते समय टारगेट के दूर होने पर तीर पूरा पीछे खींचकर छोड़ते हैं। अब दूरी कम होने पर लक्ष्य की दूरी के अनुरूप ही तीर को खींचने के लिए साइट को तय किया जाता है। निकट आने पर टारगेट फेस भी छोटा हो जाता है।

    दूरी पर टारगेट का डायमीटर 120 सेंटीमीटर होता है। वहीं निकट आने पर यह 80 सेंटीमीटर हो जाता है। जमीन से टारगेट दो फीट ऊंचे बेस पर रखा जाता है। चार गुणे चार का के टारगेट के बीच में लक्ष्य तय होता है। इस लिहाज से मूल टारगेट जमीन से चार फीट ऊपर होता है।

    प्रतियोगिता स्तर के अनुरूप होता है धनुष

    तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में बेहद आधुनिक धनुष का इस्तेमाल होता है। इसमें प्रतियोगिता के स्तर के अनुरूप इनके मानक भी तय होते हैं। अंडर-19 आयु वर्ग के तीरंदाज औसतन 40-42 पोंड (पुलिंग पावर) का धनुष चलाते हैं। इसी तरह आयु वर्ग के अनुरूप पुलिंग पावर का मानक तय होता है। अंडर-14 आयु वर्ग का औसत 34-36 पोंड होता है। इसी तरह सीनियर वर्ग के खिलाड़ियों के धनुष की क्षमता होती है। इसमें भी भारतीय और यूरोपीय देशों के तीरंदाजों की शारीरिक बनावट के अनुरूप इस्तेमाल होता है।

    तीरंदाज की लंबाई के हिसाब से धनुष तैयार किया जाता है। अधिकतम 72 लिंब का धनुष आता है। इससे खिलाड़ी के हाथों की लंबाई के आधार पर इसे निश्चित मानक पर मिलान करते हैं। उसके बाद तीर का नंबर निर्धारित होता है जिससे शरीर और धनुष के अनुरूप तीर सही दिशा में टारगेट की ओर जा सके। यह अनुपात सटीक नहीं होने पर तीर लक्ष्य से भटक जाती है।

    प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तीरंदाज

    इस प्रतियोगिता में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तीरंदाजी प्रतिभाग कर रहे हैं। बालक-बालिका वर्ग में आयोजित प्रतियोगिता में अब तक करीब सवा तीन सौ तीरंदाज पहुंचे हैं। प्रतियोगिता तीन आयु वर्ग में हो रही है। इनमें अंडर-14, अंडर-17 और अंडर-19 आयु वर्ग में विभिन्न शहरों के प्रतिभागी तीरंदाज अपना सर्वश्रेष्ठ निशाना साधने पहुंचे हैं।

    इस प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले तीरंदजों और टीमों को सीबीएसई की राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा। प्रतियोगिता का शुभारंभ उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के महासचिव अजय गुप्ता सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल डॉक्टर रश्मि मिश्रा और विश्वविद्यालय के खेल विभाग अध्यक्ष के किया।