CCSU Meerut के 76 बीएड कालेजों की NCTE से मान्यता खत्म, अन्य कालेजों पर पड़ सकता है यह प्रभाव
Meerut News चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध 76 बीएड कालेजों की मान्यता नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने खत्म कर दी है। मानकों की अनदेखी के चलते एनसीटीई ने यह कार्रवाई की है। इन कालेजों को सत्र 2025-26 में बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसिलिंग की सूची में शामिल नहीं किया गया है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (NCTE) ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh University) से संबद्ध 76 बीएड कालेजों की मान्यता खत्म कर दी है। एनसीटीई ने मानकों की अनदेखी करने वाले और बार-बार आगाह करने के बावजूद मानकों को पूरा न करने वाले संस्थानों की मान्यता समाप्त करते हुए 27 जून को प्रदेश के 1,059 शिक्षण संस्थानों की सूची जारी की थी जिनकी मान्यता समाप्त कर दी गई थी।
इनमें से करीब 178 बीएड कालेज थे जिसमें से सीसीएसयू के 76 बीएड कालेज शामिल हैं। इन कालेजों के नाम इस सत्र 2025-26 में बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होने जा रही काउंसिलिंग की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
सीसीएसयू ने बुधवार को इन 76 बीएड कालेजों को एक बार फिर अपने सटीक व स्पष्ट विवरण व यथा स्थिति गुरुवार 17 जुलाई तक मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। विश्वविद्यालय की ओर से वेबसाइट पर अपलोड ऐसे कालेजों की सूची में मेरठ मंडल के सभी छह जिलों के बीएड कालेज शामिल हैं।
एनसीटीई ने जहां मान्यता समाप्त करने की सूची जारी करते हुए सीसीएसयू ने कालेजों को गुरुवार दोपहर एक बजे तक संस्थान से संबंधित स्पष्ट आख्या मुहैया कराने की मांग की है।
अन्य कालेजों पर बढ़ सकता है प्रवेश का दबाव
विश्वविद्यालय के अंतर्गत साढ़े तीन सौ से अधिक बीएड कालेज संचालित हैं। इनमें से 76 कालेजों में इस सत्र में प्रवेश न हो पाने पर अन्य कालेजों पर प्रवेश का दबाव बढ़ सकता है। एनसीटीई की ओर से मान्यता खत्म किए जाने वाले संस्थानों में बीएड, बीपीएड, डीएलएड, एमएससी एजुकेशन, एमएड आदि पाठ्यक्रमों का संचालन करने वाले संस्थान शामिल हैं।
एनसीटीई की ओर से यह कदम तब उठाया गया है कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम शुरू करने का अंतिम समय आ गया है। बार-बार कालेजों को एनईपी के तहत चार वर्षीय बीएड सहित अन्य पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए अतिरिक्त समय भी दिया गया, लेकिन कालेजों ने उसका अनुपालन नहीं किया और समय बढ़ाने की मांग करते रहे। साथ ही बीएड संस्थान चलाने के लिए न्यूनतम निर्धारित मानदंडों का अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
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