UP Politics: जयन्त चौधरी की चाल से उलझेगा बीजेपी का जातीय गणित, रालोद ने गुर्जर कार्ड खेला तो फंसेगा भाजपा का पेंच
Lok Sabha Election 2024 Meerut Latest News In Hindi से एक ही जातीय पैटर्न पर भाजपा अब चुनौती। इस बार पार्टी ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। पार्टी न सिर्फ नए चेहरे उतारेगी बल्कि रालोद की वजह से जातीय समीकरण भी बदलना होगा। कई सीटों पर लंबे समय से टिकट की तैयारी जुटे कार्यकर्ताओं के अरमानों पर पानी फिरेगा।

संतोष शुक्ल, मेरठ। भाजपा और रालोद कब गठबंधन घोषित करेंगे। साथ आए तो जयन्त के हिस्से बागपत के अतिरिक्त कौन सी सीट जाएगी। किसे लड़ाएंगे...कुछ ऐसी चर्चाओं के बीच पश्चिम उप्र की राजनीति गरमा रही है। भाजपाई दिग्गज अपनी टिकट की संभावनाएं लड़खड़ाती देखकर मायूस भी हैं।
भाजपा 2014 से करीब एक ही पैटर्न पर जातिगत समीकरण फिट करते हुए टिकट बांट रही है, लेकिन इस बार जयन्त के साथ आने से भाजपा की जातीय चाल उलझेगी। बिजनौर सीट जयन्त के हिस्से आई तो पार्टी यहां गुर्जर कार्ड खेल सकती है ऐसे में भाजपा के लिए कैराना और अमरोहा दोनों पर गुर्जर उतारना मुश्किल होगा।
सर्वाधिक तीन सीट पर जाट कार्ड
भाजपा वर्ष 2014 से पश्चिम क्षेत्र की 14 सीटों में सर्वाधिक तीन सीटों बागपत, मुजफ्फरनगर एवं बिजनौर पर जाट, जबकि कैराना और अमरोहा पर गुर्जर चेहरा उतार रही है। गौतमबुद्धनगर एवं सहारनपुर में ब्राह्मण, जबकि गाजियाबाद और मुरादाबाद में क्षत्रिय समीकरण साधा गया। नगीना और बुलंदशहर रिजर्व है।
संभल में दो बार सैनी कार्ड खेला गया। रामपुर में 2014 में ओबीसी चेहरा नेपाल सिंह, जबकि 2019 में फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा उतारी गईं। आजम खान की सदस्यता जाने के बाद भाजपा ने उपचुनाव में घनश्याम लोधी को उतारा। मेरठ-हापुड़ सीट 2009 से वैश्य वर्ग के कोटे में है।
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बागपत सीट जयन्त को मिलने से दो बार के सांसद सत्यपाल सिंह का भविष्य उलझेगा। जयन्त ने बिजनौर में गुर्जर लड़ाया तो भाजपा के लिए कैराना के बाद अमरोहा में भी गुर्जर उतारना मुश्किल होगा। उधर, गठबंधन से हटने पर रालोद पर भड़की सपा जातीय कार्ड से घेरेबंदी करेगी।
जातीय कार्ड से घेरने में जुटी सपा
पश्चिम उप्र की राजनीति मुजफ्फरनगर की धुरी पर एक बार फिर घूम रही है। सपा ने इस सीट को नाक का सवाल बनाया है जहां से पार्टी पूर्व राज्यसभा सदस्य व अनुभवी जाट चेहरा हरेंद्र मलिक को उतारकर भाजपा और रालोद के जाट वोंटरों में सेंधमारी करेगी। सपा ने बागपत में जयन्त को घेरने के लिए जिलाध्यक्ष व संगठन के अन्य पदाधिकारियों से प्रत्याशियों पर राय मांगी है।
अखिलेश की नजर कैराना, नगीना, बिजनौर, संभल, अमरोहा, रामपुर एवं मुरादाबाद पर विशेष रूप से टिकी है जहां मुस्लिम वोटों की बड़ी संख्या है। बसपा की चुप्पी से कई सीटों के समीकरण हिल रहे हैं। अनुसूचित वोटों पर आज भी बड़ी पकड़ रखने वाली बसपा की रणनीति और चाल बड़ी पार्टियों के समीकरण बिगाड़ सकती है। किसान आंदोलन के चढ़ते पारे और सियासी धुंध के बीच भाजपा अंतिम क्षणों में पत्ते खोलेगी, जब किसी दल के पास पलटवार का अवसर नहीं रह जाएगा।

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