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    मेरठ वालों के लिए राहत की खबर! House Tax में सुधार के लिए करना होगा ये काम; लगातार बढ़ रहीं थी शिकायतें

    By Dileep Patel Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 01:27 PM (IST)

    Meerut News : मेरठ में यदि आपका हाउस टैक्स अधिक आया है और आप बिल को संशोधित कराना चाहते हैं तो आपको कुछ आवश्यक कदम उठाने होंगे। इसके लिए आपको मेरठ नगर ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। इंदिरा नगर निवासी राज बहादुर बढ़े गृहकर की आपत्ति लेकर कर अनुभाग कार्यालय पहुंचे। बताया, पिछले साल 178 रुपये गृहकर जमा किया था, इस साल 2142 रुपये का बिल आया है। कर निर्धारण अधिकारी ने कहा कि बिल संशोधन के लिए बैनामा लेकर आइए।
    उन्होंने इसका कारण पूछा तो जवाब मिला कि बैनामे से पता चलेगा कि भवन कितना पुराना है। उसके हिसाब से ही बिल संशोधित होगा। जानकारी के अभाव में वह सिर्फ बिल लेकर गए थे, लिहाजा निराश होकर लौटना पड़ा।
    इसी तरह शकूर नगर निवासी यूसुफ ने आपत्ति दर्ज कराई कि पिछले साल 450 रुपये गृहकर जमा किया था, इस साल 2210 बिल आया है। अधिकारी ने उनसे भी बैनामा लाने को कहा। ये दो केस तो उदाहरण हैं।

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    गृहकर के कई-कई गुना बिल बढ़ने की शिकायतों के साथ बड़ी संख्या में भवन स्वामी नगर निगम के दफ्तर पहुंच रहे हैं।
    नगर निगम अधिनियम के अनुसार, पुराने भवनों के वार्षिक मूल्यांकन पर भवन की आयु के हिसाब से छूट दी जाती है।

    इसके बाद शेष धनराशि पर गृहकर लगता है। 10 साल पुराने भवनों को 25 प्रतिशत, 10 से 20 साल पुराने भवनों को 32.5 प्रतिशत और 20 साल से पुराने भवनों को 40 प्रतिशत छूट देने का प्रविधान है।
    इस छूट के बाद शेष वार्षिक मूल्यांकन पर गृहकर लगता है लेकिन जीआइएस सर्वे के दौरान सभी पुराने भवनों के वार्षिक मूल्याकंन में औसतन 25 प्रतिशत छूट दी गई है।
    ऐसे में जिनके भवन 20 साल से अधिक पुराने हैं, उन्हें नियमानुसार छूट नहीं मिल सकी। इससे उनके गृहकर कई गुना बढ़ गए। यदि नगर निगम गृहकर के बिलों में दिए जा रहे आवश्यक निर्देशों में इस बात का उल्लेख कर देता तो लोग बिल के साथ बैनामा लेकर पहुंचते। समस्या ये है कि निगम ने लगभग दो लाख से अधिक गृहकर बिल बांट दिए हैं।

    मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम ने बताया कि भवन स्वामियों को औसतन 25 प्रतिशत वार्षिक मूल्यांकन में छूट दी गई है। जो भवन स्वामी बढ़े बिल की शिकायत लेकर आ रहे हैं उनके बिलों का संशोधन बैनामा देखकर किया जा रहा है। बैनामे से भवन का क्षेत्रफल और वह कितना पुराना है, इसका पता चल जाता है।

    उसी के अनुसार गृहकर की गणना कर बिल संशोधित किए जाते हैं। जीआइएस आइडी चालू होने पर ये समस्या नहीं होगी। शासन स्तर से जल्द यह आइडी चालू कराने की बात कही गई है।  

    जीआइएस आइडी बंद होने से समस्या विकराल

    उधर जीआइएस आइडी बंद चल रही है। भुगतान न होने से जीआइएस सर्वे करने वाली आइटीआइ लिमिटेड कंपनी अपने साथ पूरा जीआइएस सर्वे का डेटा लेकर चली गई है। निगम के पास कोई ऐसा रिकार्ड नहीं है, जिससे संपत्तियों का मिलान कर भवन स्वामियों की आपत्ति का निस्तारण हो सके।
    पुराने और नए भवनों की जानकारी भी उसी डेटा में है। कंपनी का भुगतान शासन स्तर से होना है। निगम अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
    इस बारे में पार्षदों से लेकर व्यापारी, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी नगर निगम के अधिकारियों से जानकारी मांग रहे हैं लेकिन वह उन्हें कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
    ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जीआइएस आइडी भुगतान न होने के कारण ऐसे ही बंद रहेगी। अधिकारी भी इस बाबत कोई स्पष्ट जबाव नहीं दे पा रहे हैं। नगर निगम में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

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