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    UP में केवल मेरठ की सेंट्रल मार्केट के लिए बाजार स्ट्रीट का प्रस्ताव, नए सिरे से होगा अवैध निर्माण का सर्वे

    By Anuj Sharma Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 02:31 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में मेरठ शहर के सेंट्रल मार्केट के लिए बाजार स्ट्रीट का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। सेंट्रल मार्केट को बाजार स्ट्रीट के रूप में विकसित ...और पढ़ें

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    मेरठ के शास्त्रीनगर क्षेत्र में स्थित सेंट्रल मार्केट

    जागरण संवाददाता, मेरठ। नई भू उपयोग नीति में शहरों में 12 और 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर यदि बाजार विकसित हो गया है तो उस क्षेत्र को बाजार स्ट्रीट घोषित किया जा सकता है। प्रदेश में केवल मेरठ की सेंट्रल मार्केट के लिए बाजार स्ट्रीट का प्रस्ताव आवास विकास परिषद की बोर्ड बैठक में रखने की तैयारी है। बुधवार को बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होनी थी, लेकिन बैठक नहीं हो सकी।
    90 प्रतिशत दुकानें होंगी, तभी घोषित होगा बाजार क्षेत्र
    आवास विकास के उप आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नई भू उपयोग नीति के तहत अभी केवल शास्त्रीनगर की सेंट्रल मार्केट के लिए बाजार स्ट्रीट घोषित करने का प्रयास है। बोर्ड में यह प्रस्ताव रखा जा रहा है। स्वीकृति के बाद मेडा द्वारा महायोजना में यह बदलाव किया जाएगा। अभी सेंट्रल मार्केट की कुछ सड़कों को इसके लिए चिह्नित किया है।
    बोर्ड भू उपयोग नीति के मुताबिक तय करेगा कि कौन सी सड़क को बाजार क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। नियमानुसार 12 और 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर ही यह घोषणा की जा सकती है वो भी केवल उन स्थानों पर जहां 90 प्रतिशत से ज्यादा भूखंडों में व्यवसायिक उपयोग हो रहा है।
    सेंट्रल मार्केट समेत आवास विकास की विभिन्न कालोनियों में नौ मीटर चौड़ी सड़कें ज्यादा हैं, जिनमें दुकानें बन गई हैं। नौ मीटर चौड़ी सड़क नई नीति के तहत बाजार स्ट्रीट घोषित नहीं की जा सकती है।
    1468 में से 131 निर्माण में बंद हो गई हैं दुकानें
    उप आयुक्त आवास विकास ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जिस पर सुनवाई हो रही है वह मामला शास्त्रीनगर योजना संख्या 7 का है। इसमें 860 अवैध निर्माण चिह्नित किए थे। अन्य 608 निर्माण शास्त्रीनगर योजना-3 के हैं। ये सुनवाई के दायरे में नहीं हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी योजनाओं और पूरे देश के लिए आदेश दिया है। लिहाजा कार्रवाई के दायरे में सभी हैं। उन्होंने बताया कि योजना-7 के 860 अवैध निर्माण को नोटिस दिए थे। इनमें से 131 ने व्यवसायिक उपयोग बंद कर दिया है। अब इस योजना के 729 निर्माण कार्रवाई के दायरे में हैं।

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    नए सिरे से होगा अवैध निर्माण का सर्वे, फिर कार्रवाई
    उप आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने बताया कि अवैध निर्माण करने वालों को पूर्व में जो नोटिस दिए गए थे उनके बाद व्यापारियों ने क्या बदलाव किया इसका सर्वेक्षण किया जाएगा। जल्द अधिकारियों की टीम यह सर्वे करेगी। व्यवसायिक उपयोग बंद न करने वाले भवनों की सूची बनाकर ध्वस्तीकरण कार्रवाई की जाएगी।