Satyapal Malik : सत्यपाल मलिक ने मेरठ कालेज से शुरू की छात्र राजनीति और चढ़ते गए तरक्की की सीढ़ियां
Satyapal Malik जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मेरठ से गहरा नाता था। उनके निधन के समाचार से मेरठ और बागपत जिले में शोक की लहर है। मेरठ कालेज से बीएससी और एलएलबी करने वाले सत्यपाल मलिक छात्रसंघ की राजनीति से उभरे। उनका जन्म बागपत जिले में हुआ था।

जागरण संवाददाता, मेरठ। अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। उनका मेरठ से गहरा नाता रहा। यहां के मेरठ कालेज से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की। वह छात्रसंघ की राजनीति से सियासत में आए और फिर तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए।
बागपत के गांव हिसावदा में हुआ था जन्म
बागपत के गांव हिसावदा में 25 जुलाई 1946 को जन्में सत्यपाल मलिक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे मेरठ कालेज से ही पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ समाजवादी छात्र नेता के तौर पर राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।
पहली बार 1968 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और वह मेरठ कालेज के अध्यक्ष चुने गए थे। इस कालेज से वह दो बार छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। बाद में सियासत में आए। भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत से 1974 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 1980 व 1986 में वह राज्यसभा सदस्य रहे। 1989 में उन्होने अलीगढ़ से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। 1996 में सपा के टिकट पर अलीगढ़ से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 1990 में केंद्रीय पर्यटन एवं संसदीय राज्यमंत्री रहे।
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2014 वह भाजपा में शामिल हुए। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के साथ-साथ राजस्थान के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भी दी। चार अक्टूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल का पद संभालने के पहले वह भाजपा के किसान मोर्चा के प्रभारी थे।बाद में उन्हें ओडिशा के राज्यपाल का भी कार्यभार दिया गया। उन्होंने जम्मू कश्मीर, मेघालय के राज्यपाल की भी जिम्मेदारी संभाली।
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