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    Baghpat: सत्यपाल मलिक के देहांत पर शोक में डूबा पैतृक गांव हिसावदा, जयंत चौधरी ने दी श्रद्धांजलि

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 03:41 PM (IST)

    Satyapal Malik पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन से बागपत के हिसावदा गांव में शोक की लहर है। उनका जन्म इसी गांव में हुआ था और उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा भी यहीं प्राप्त की थी। सत्यपाल मलिक के निधन पर बागपत के हर वर्ग के लोगों ने गहरा दुख व्यक्त किया है।

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    दिल्ली में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि देने पहुंचे जयंत चौधरी। इंसेट में सत्यपाल मलिक का फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, बागपत। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन से उनके पैतृक गांव हिसावदा समेत बागपत में शुभचिंतकों मे शोक छा गया है। पिछले करीब पांच दशक से राजनीति में सक्रिय रहे मलिक हमेशा खेती किसानी के मुद्दो को उठाते रहे। ग्रामीण और उनके शुभचिंतक दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने गांव का नाम रोशन किया। वह उनकी यादों में सदा बने रहेंगे। उधर, पूर्व राज्यपाल को दिल्ली में अस्पताल पहुंचकर केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

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    सत्यपाल सिंह मलिक का जन्म बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ था। गांव में उनका पैतृक निवास आज भी है।प्राथमिक शिक्षा गांव में प्राप्त करने के बाद कक्षा 12 तक की शिक्षा एमजेएम इंटर कालेज गांव ढिकौली में प्राप्त की। इसके बाद उच्च शिक्षा मेरठ कालेज मेरठ से प्राप्त करते समय छात्र राजनीति से जुड़ गये।

    वर्ष 1974 में पहली बार बागपत से बने विधायक

    उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की बीकेडी पार्टी से जुड़े। वर्ष 1974 में बागपत से विधायक रहे। चौधरी साहब की छत्रछाया में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सत्यपाल मलिक मेरठ कालेज के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे।

    वर्ष 1977 में जब जनता पार्टी बुलंदी पर थी, तब सत्यपाल मलिक की चौधरी साहब से राह जुदा हो गई। 15 जुलाई 1979 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। इसके बाद सत्यपाल मलिक चौधरी साहब के पास लौट आए।

    वह वर्ष 1980 में राज्यसभा गए और वर्ष 1984 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनको राज्यसभा भेजा गया। 1987 में बोफोर्स मामला उछलने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर वीपी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल से वर्ष 1989 में अलीगढ़ से चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। तब वह केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए गए थे। 

    1996 में अलीगढ़ से दोबारा लोकसभा चुनाव लड़कर हार गए। फिर भाजपा में शामिल हो गए। वर्ष 2004 में बागपत से लोकसभा चुनाव लड़कर हार गए। वह वर्ष 2017 में बिहार के राज्यपाल बनाए गए और इसके बाद वह जम्मू कश्मीर, गोवा तथा मेघालय के राज्यपाल भी रहे।

    उनके निधन से पैतृक गांव हिसावदा तथा बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शुभचिंतकों में शोक छाया हुआ है। रालोद के छपरौली से विधायक डा. अजय कुमार ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। हिसावदा गांव निवासी एवं किसान नेता अन्नू मलिक ने बताया कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल सिंह मलिक का अंतिम संस्कार दिल्ली में होगा। हिसावदा निवासी अमित, इन्द्रपाल, पदमसिंह, नवीन आदि ने भी दुख जताया है। कहा कि उन्होंने गांव का नाम रोशन किया। उन्हें सदा याद किया जाएगा।