सतपाल मलिक ने मेरठ कालेज की पत्रिका को भेजे संदेश में कहा था, 'मुझे चौधरी चरण सिंह जी ने बुलाया और...'
Satyapal Malik बिहार गोवा और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे स्व. सतपाल मलिक अंतिम बार 2020 में मेरठ आए थे। वह मेरठ कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने कहा था कि इस प्रतिष्ठित कालेज का हिस्सा बनना उनके लिए गर्व की बात है। सतपाल मलिक ने मेरठ कालेज को अपने करियर की सफलता का श्रेय दिया।

जागरण संवाददाता, मेरठ। बिहार, गोवा और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे स्व. सतपाल मलिक अंतिम बार मार्च 2020 में मेरठ आए थे। यहां वह शोभित यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में आए था। उससे पहले 2017 में मेरठ कालेज के 125वें स्थापना दिवस समारोह में आए थे। उसी समारोह के लिए सतपाल मलिक ने मेरठ कालेज की मैगजीन के लिए अपना संदेश भेजा था। वह इस कालेज में 1967 से 1969 के दौरान पढ़ें थे। कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे थे।
मेरठ कालेज को दिया था करियर की सफलता का श्रेय
मेरठ कालेज के लिए अपने संदेश में उन्होंने लिखा था, 'इस प्रतिष्ठित कालेज का हिस्सा बनना मेरे लिए एक अत्यंत गर्व की बात रही है। मैं अपने सम्पूर्ण करियर की सफलता का श्रेय मेरठ कालेज को देता हूं। यह सर्वविदित तथ्य है कि केवल शिक्षा ही लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकती है, उनकी क्षमताओं को बढ़ाकर और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को जागरूक करके। यदि हमें अपने विविध सामाजिक समस्याओं से छुटकारा पाना है और एक प्रगतिशील समाज की स्थापना करनी है, तो लोगों की शिक्षा ही इसका मूल आधार बनेगी।'
छात्रों को सही प्रकार के ज्ञान और नेतृत्व गुणों से लैस करने की आवश्यकता
उन्होंने आगे लिखा था, 'हमारे छात्रों को सही प्रकार के ज्ञान और नेतृत्व गुणों से लैस करने की आवश्यकता है, ताकि वे जीवन की उभरती प्रवृत्तियों और मानकों पर खरे उतर सकें। इस वैश्वीकरण के नए युग में हमारी शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुसार निरंतर पुनरावलोकन और रूपांतरण की आवश्यकता है। कॉलेज स्तर की शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर में सुधार अत्यंत आवश्यक है, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता भी ऊँची हो सके।'
'मैं डा. मंजू गुप्ता को "सफरनामा... मेरठ कालेज के गौरवशाली 128 वर्षों" की काफी टेबल बुक के प्रकाशन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।'
मेरठ कालेज के छात्र के रूप में उनकी स्मृतियां
मेरठ कालेज में छात्र के रूप में अपनी यादों को साझा करते हुए उन्होंने लिखा कि 'मेरे पिता का देहांत तब हो गया था जब मैं मात्र दो वर्ष का था। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा मैंने एक ग्रामीण कालेज में प्राप्त की। स्नातक के लिए मैंने मेरठ कालेज में प्रवेश लिया और यह कालेज मेरे लिए एक मां के समान बन गया।
इस कालेज ने मेरा हाथ थामा, मुझे जन भाषण (पब्लिक स्पीकिंग) सिखाया और मैं मेरठ कालेज का एक लोकप्रिय छात्र नेता बन गया। उस समय कालेज के शिक्षक विश्वस्तरीय थे। डा. पुरी, प्रो. आरएस यादव, डा. एलए खान सहित अनेक शिक्षक हमेशा छात्र आंदोलनों के प्रति सहानुभूति रखते थे और हमें मार्गदर्शन देते थे।
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उन्होंने लिखा 'वे हमारे लिए बड़ी ताकत थे और उन्होंने हमारे जीवन को प्रभावित किया। जैसे ही मैं कालेज से विदा होने वाला था, मुझे चौधरी चरण सिंह जी ने बुलाया और बागपत से विधायक का चुनाव लड़ने को कहा। उस समय मेरी उम्र मुश्किल से 26 वर्ष थी जब मैंने चुनाव लड़ा और सौभाग्यवश जीत भी गया। तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा।
'छात्र जीवन के दौरान मेरी मुलाकात राम मनोहर लोहिया, मधुलिमये, राज नारायण जी आदि से हुई। मेरी पूरी यात्रा और प्रगति में मेरठ कॉलेज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है और मैंने जो कुछ भी जीवन में प्राप्त किया, वह सब इसी कालेज की देन है।'
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