जब बेटा सीमा पर हो, तब मां भी सैनिक बन जाती है; Mother's Day पर फौजी मां की कहानी
Mothers Day 2025 युवाओं को कामयाब करने में उनकी माताओं की अहम भूमिका होती है। ऐसी ही एक मां कौशल्या दहिया जिनके पति भी सेना में थे ने अपने दोनों बेटों को सेना में भेजा। उनका एक बेटा लेह में तैनात है। वे सीमा पर तनाव के समय बेटों की सलामती के लिए दुआ करती हैं और देश सेवा के लिए तत्पर हैं।

संवाद सूत्र, जागर सरधना । Mother's Day 2025: गांव देहात में मूलभूत सुविधाओं का अमूमन अभाव सा माना जाता है। लेकिन, गांव-देहात के युवाओं को कामयाब करने में उनकी माताओं की अहम भूमिका होती है।
मातृ दिवस पर भी उन मांओं की क्षेत्र में खूब पर चर्चा हो रही है। जिन्होंने कड़ी मेहनत और संघर्ष कर अपने जिगर के टुकड़ों को देश की रक्षा करने भारतीय सेना में जाने को प्रेरित किया। ऐसे में जब बेटा सीमा पर तैनात हो, तब मां भी सैनिक बन जाती है और मां के आंचल ने हमेशा देश के सबसे बहादुर बेटे सहेजे है।
पति भी पूर्व सैनिक
उनमें से एक है कस्बा करनावल की रहने वाली कौशल्या दहिया। जिन्होंने अपने पति तेजपाल के भारतीय सेना में रहते गांव में खेती-बाड़ी करते हुए बच्चों की पढ़ाई कराई। बल्कि, उन्हें भी उनके पिता की तरह देश की सेवा में सेना में भर्ती करने होने को प्रेरित किया।
कौशल्या ने बताया कि बेटे अनुज दहिया व अंकित के पढ़ाई करते समय वह भी उनके साथ रात में जागती थी। सुबह करीब चार बजे हर रोज दोनों बेटों को नींद से जगाकर उनके दौड़ने के समय वह भी साथ जाया करती थी। उनकी लगन और भरोसे के चलते वर्ष 2009 में अनुज भारतीय सेना में भर्ती हुए। सेना में जाने के बाद अनुज देश के सीमावर्ती इलाकों में ही तैनात रहा है। फिलहाल उसकी तैनाती लेह में है।
दोनों बेटे सेना में
छोटा बेटा अंकित दहिया भी मां के आशीर्वाद व पिता और भाई से प्रेरित होकर सेना में जाने की तैयारी में लगातार जुटा रहा। कौशल्या बताती हैं कि अंकित भी वर्ष 2013 में सेना में भर्ती हुआ और इस समय सीमावर्ती क्षेत्र में तनाव के बीच ड्यूटी पर तैनात है। दोनों बेटों के सेना में जाने के बाद वह अब उनके बच्चों की देखभाल कर रही हैं।
वह बताती हैं भारत-पाक के बीच उपजे विवाद के बाद रातभर जागकर बेटों की सलामती की दुआ मांगती है। जबकि बार्डर पर बिगड़े हालात पर कहा कि उन्हें यदि अनुमति मिले तो वह भी बेटों की तरह सीमा पर मोर्चा संभालने को तैयार हैं। वहीं, खेड़ा गांव निवासी सुनीता ने भी बेटे प्रशांत को देश सेवा करने को भारतीय सेना में जाने को प्रेरित किया।
वह बताती हैं कि उन्होंने गांव के अन्य युवाओं को फौज में जाते देख बेटे प्रशांत को भी कड़ी मेहनत करने को हौंसला दिया और आज उनका बेटा भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा में सीमा पर तैनात है। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि मां होना आसान नहीं, लेकिन फौजी की मां होना और भी बड़ा उत्तरदायित्व है। जब बेटा तिरंगे की सेवा में है, तब मां चैन से कैसे बैठ सकती है।
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