नंबर देने में CCSU Meerut के गुरुजी 'फेल', प्रारंभिक मूल्यांकन में छात्र को मिले सिर्फ दो अंक, चुनौती देने पर हुए 25
Chaudhary Charan Singh University मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में मूल्यांकन प्रक्रिया की खामियां उजागर हुई हैं। एक छात्र को पुनर्मूल्यांकन के बाद अंक 2 से 25 अंक मिले जिससे मूल्यांकन की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। छात्र संघ ने लापरवाह परीक्षकों पर कार्रवाई की मांग की है। विश्वविद्यालय प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) की मूल्यांकन प्रक्रिया की पोल बार-बार खुलने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहा है। विश्वविद्यालय की व्यवस्थागत खामियां पहले भी उजागर होती रही हैं।
मूल्यांकन केंद्र पर परीक्षक बनाए गए शिक्षकों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन ठीक से न किए जाने, अंकों के जोड़ में गलती सहित तमाम सवाल उठते रहते हैं। एक बार फिर विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रक्रिया में दो अंक पाने वाले विद्यार्थी ने जब परिणाम को चुनौती देते हुए चुनौती मूल्यांकन के लिए आवेदन किया तो उसे 12 गुणा से अधिक यानी 25 अंक मिले। उक्त छात्र के मूल्यांकन में खामी का यह मामला तो बानगीभर है।
कई विद्यार्थियों के परिणाम में बड़ा अंतर
विभिन्न विद्यार्थियों के परिणाम में इतना बड़ा अंतर देखने को मिला है। सीसीएसयू की ओर से सोमवार को जारी चुनौती मूल्यांकन के परिणामों में बीएससी के एक छात्र को प्रारंभिक मूल्यांकन में मात्र दो अंक दिए गए थे। परिणाम से असंतुष्ट होने पर छात्र ने चुनौती मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। इसके बाद उसके अंक बढ़कर 25 हो गए।
इसी तरह, एक अन्य छात्र के अंक छह से बढ़कर 35 हो गए, जबकि एक अन्य छात्र के नौ से 29 और एक अन्य के आठ से 35 अंक हो गए। एक और छात्र को शुरुआती मूल्यांकन में आठ अंक मिले थे, जो चुनौती मूल्यांकन के बाद 25 हो गए। ये आंकड़े मूल्यांकन में हुई भारी विसंगतियों का जीता-जागता प्रमाण हैं।
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लापरवाह परीक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
छात्र संघ के पूर्व महामंत्री अंकित अधाना ने कहा कि प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद चुनौती मूल्यांकन में अंकों में कई गुणा वृद्धि स्पष्ट रूप से मूल्यांकन कार्य में लापरवाही को दर्शाती है। बताया कि कई बार छात्र जब अपनी उत्तर पुस्तिकाएं निकलवाते हैं तो वे ठीक से जांची हुई नहीं मिलतीं। इसी लापरवाही के कारण छात्रों की बैक आ जाती है। जिससे उन्हें चुनौती मूल्यांकन के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ते हैं। अंकित अधाना ने विश्वविद्यालय प्रशासन से ऐसे लापरवाह परीक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
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