बेटों ने घर से निकाला तो सेवानिवृत्त शिक्षक ने रेलवे स्टेशन पर चौथी बार की आत्महत्या की कोशिश
मऊ में सेवानिवृत्त शिक्षक रामबली ने बेटों द्वारा घर से निकाले जाने पर आत्महत्या का प्रयास किया। रेलवे स्टेशन पर लिच्छवि एक्सप्रेस के सामने कूदकर जान देने की कोशिश की। 74 वर्षीय रामबली जो गाजीपुर के रहने वाले हैं पत्नी की मृत्यु के बाद से किराए के कमरे में रह रहे हैं ।

जागरण संवाददाता, मऊ। अपने खून पसीनों से उम्मीदों का घर सहेजने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक को बेटों-बेटियों ने घर से निकाल दिया। इससे आहत सेवानिवृत्त शिक्षक रामबली ने चार बार आत्महत्या का प्रयास किया, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर है।
शुक्रवार को दिन में पौने एक बजे आत्महत्या करने की नियत से वह रेलवे स्टेशन पर लिच्छवि ट्रेन के सामने आ गए। इस बीच ट्रेन के इंजन से टकराने के बाद वह पटरी व दीवार के बीच फंस गए। स्टेशन पर ट्रेन धीमी होने के चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगा कर वृद्ध की जान बचा लिया।
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इस बीच बुजुर्ग को पटरी पर आता देख प्लेटफार्म संख्या दो से आरपीएफ व जीआरपी के जवान दौड़ पड़े। ट्रेन रुकने के पश्चात बड़ी मशक्कत के बाद वृद्ध को बाहर निकाल कर उसे जीआरपी थाने ले जाया गया। जीआरपी प्रभारी राजकपूर सिंह व मुख्य टिकट निरीक्षक रामप्रभाव यादव ने बताया कि गाजीपुर जनपद के मरदह थाना के नोनरा गांव निवासी रामबली राम पश्चिम बंगाल में अंग्रेजी के शिक्षक पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हुए थे।
वर्ष 2019 में उनकी पत्नी की मृत्यु होने के बाद से उनके बेटों ने उन्हीं के बनाए घर में रहने से मना कर दिया। रामबली मरदह में किराए का कमरा लेकर रहते हैं तथा सुबह-शाम होटल में भोजन करते हैं। रामबली ने बताया कि बेटों के इस कृत्य से दुखी होकर उन्होंने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयास किया। एक सप्ताह पूर्व वह गाजीपुर स्थित पुल से गंगा नदी में कूद कर जान देने गए, लेकिन वहां जलती चिताओं को देख उनका मन विचलित हो गया।
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इसके बाद उन्होंने ट्रेन के सामने कूद कर मरने का निर्णय लिया। 74 वर्षीय रामबली शुक्रवार को बैंक से पैसे निकाले। मऊ रोडवेज पर पहुंचकर भोजन किए। इसके बाद वह रेलवे स्टेशन पहुंचे। स्टेशन पर कुछ देर बैठने के बाद पता चला लिच्छवी एक्सप्रेस आ रही है।
वह ट्रेन को स्टेशन पर आता देख धीरे से पटरी पर उतर कर बैठ गए, लेकिन उन्हें क्या पता था कि आज भी उनकी मौत सुनिश्चित नहीं है। ट्रेन के इंजन से हल्का धक्का लगने के बाद वे दीवार के किनारे लग गए और उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया। जीआरपी प्रभारी राजकपूर सिंह ने उन्हें थाने में बैठा कर समझाने-बुझाने के पश्चात सिपाही से उनके घर भेजवाया।
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