Sri Krishna Janmashtami 2025: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में साल में एक बार होती है मंगला आरती, ये है इसके पीछे का रहस्य
Sri Krishna Janmashtami 2025 वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में मंगला आरती नहीं होती क्योंकि मान्यता है कि ठाकुरजी रात में निधिवन राज मंदिर में राधाजी और गोपियों संग रास रचाते हैं। इसलिए उनकी नींद में खलल न पड़े इसलिए मंगला आरती नहीं की जाती। यह आरती साल में केवल एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ही होती है क्योंकि उस दिन ठाकुरजी रास नहीं रचाते।
जागरण टीम, वृंदावन। मंदिरों की नगरी वृंदावन के हर मंदिर, देवालय में भोर में मंदिर खुल जाते हैं और सुबह पांच बजे मंगला आरती होती है। लेकिन, इसी मंदिरों की नगरी के मध्य विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर ऐसा है, जहां मंगला आरती नहीं होती। इसके पीछे मान्यता है कि ठाकुरजी रात में निधिवन राज मंदिर में राधाजी और गोपियों संग रास रचाते हैं। रात के तीसरे प्रहर में मंदिर पहुंचकर शयन करते हैं। ठाकुरजी की नींद में खलल न पड़े और उन्हें सुबह जल्दी न उठाना पड़े। इसलिए मंदिर में मंगला आरती नहीं की जाती है।
रात में निधिवन राज मंदिर में रास रचाते हैं ठाकुर बांकेबिहारी
मंदिर सेवायत गोपेश गोस्वामी बताते हैं कि ठाकुर बांकेबिहारीजी रात में निधिवन राज मंदिर में रास रचाते हैं। रात के तीसरे पहर में ठाकुरजी मंदिर पहुंचते हैं। गोस्वामी ने बताया, मंदिर में ठाकुरजी की सेवा बालस्वरूप में होती है। भाव होता है कि ठाकुरजी रात में देर से सोते हैं, उन्हें जल्दी नहीं उठाना चाहिए। इसीलिए सुबह देर से उन्हें उठाया जाता है और दर्शन की शुरुआत के बाद शृंगार आरती होती है।
केवल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इसलिए होती हैं मंगला आरती
मंगला आरती केवल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इसलिए होती हैं। इस दिन रात 12 बजे ठाकुरजी का महाभिषेक होता है, तो इस दिन ठाकुरजी निधिवन राज मंदिर में रास रचने नहीं जाते।
ठाकुर बांकेबिहारी की मंगला आरती में 500 ही रहेंगे श्रद्धालु
ठाकुर बांकेबिहारी की मंगला आरती वर्ष में एक दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ही होती है। रात दो बजे होने वाली मंगला आरती में भीड़ प्रबंधन को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है। कोर्ट के आदेश पर इस बार 500 दर्शनार्थी शामिल होंगे।
17 को होगा नंदोत्सव
गोकुल का नंदोत्सव आकर्षण का केंद्र है। सुबह 11 बजे कृष्ण-बलराम, नंदबााब, यशोदा मैया के स्वरूप बैंडबाजों के साथ नंद चौक पहुंचेंगे। वहां उपहार लुटाए जाएंगे। इन उपहारों को लूटने के लिए होड़ मची रहती है।
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