Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    वृंदावन के रंगजी मंदिर में 18 को मनाई जाएगी जन्माष्टमी, लट्ठे के मेले के साथ नंदोत्सव का होगा अनोखा आयोजन

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 07:35 AM (IST)

    Shri Krishna Janmashtami वृंदावन के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बाद नंदोत्सव अनूठे रूप में मनाया जाएगा। 19 अगस्त को लट्ठे का मेला आयोजित होगा जिसमें पहलवानों को तेल से सने खंभे पर चढ़ने की चुनौती दी जाएगी। सात प्रयासों में सफल होने पर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। मंदिर में जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी जिसमें ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक होगा।

    Hero Image
    वृंदावन में दक्षिण भारतीय परंपरा का रंगजी मंदिर। - फोटो: जागरण।

    संवाद सहयोगी, जागरण,वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के बाद ब्रजमंडल के मंदिर, आश्रमों में नंदोत्सव मनाया जाएगा। नंदोत्सव में ब्रजवासियों को भगवान के जन्मोत्सव की खुशी में उपहार लुटाए जाते हैं। लेकिन, मंदिरों की नगरी के मध्य बसे दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में नंदोत्सव अनोखे रूप में मनाया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    18 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी

    मंदिर में 18 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जबकि 19 अगस्त को नंदोत्सव पर लट्ठा का मेला आयोजित होगा। जिसमें अंतरयामी अखाड़े के पहलवानों को चुनौती मिलती है तैलीय पदार्थ उड़ेलते हुए लट्ठे पर। लट्ठे के ऊपर बनी मचान पर मंदिर कर्मचारी तेल-पानी युक्त तरल पदार्थ डालते हैं और पहलवान लट्ठा पर चढ़ने का प्रयास करते हैं। सात बार के प्रयास में अगर पहलवान सफल हो जाते हैं तो मंदिर की ओर से उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।

    लट्ठा का मेला 19 अगस्त की शाम को मंदिर परिसर में आयोजित होगा

    दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। लेकिन, मंदिर में दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार ही उत्सव मनाए जाते हैं, जिसकी तिथि उत्तर भारत के पंचांग से अलग होती है। इसलिए इस बार रंगजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी और नंदोत्सव के रूप में आयोजित होने वाला लट्ठा का मेला 19 अगस्त की शाम को मंदिर परिसर में आयोजित होगा।

    रात में ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक

    भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देश-विदेश में कृष्णभक्त अपने तरीके से मनाते हैं। इसी तरह दक्षिण भारतीय परंपरा के रंगजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर रात में ठाकुरजी का पंचगव्य से महाभिषेक कर सुंदर पोशाक और आभूषण धारण करवाए जाते हैं। वेदमंत्रों की अनुगूंज के मध्य आराध्य का पूजन होता है और दूसरे दिन शाम को नंदोत्सव के तौर पर लट्ठे का मेला आयोजित होता है।

    चालीस फीट का खंभा स्थापित किया जाता है

    मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन के अनुसार मंदिर के मुख्य प्रवेशद्वार के बाहर करीब चालीस फीट का खंभा स्थापित किया जाता है। जिसे इस तरह तेल से चिकना कर दिया जाता है, ताकि उस पर चढ़ने वाले पहलवानों को किसी तरह की दिक्कत न हो। खंभे के शिखर मचान बनाकर बड़े बर्तनों पर तेल-पानी और हल्दी का मिश्रण रखा जाता है।

    नीचे से अंतरयामी अखाड़े के पहलवान खंभे पर चिपकते हुए एक के ऊपर एक चढ़ते जाते हैं और ऊपर मचान से मंदिर कर्मचारी मिश्रण को खंभे पर डालते हैं, जिससे कई बार पहलवान फिसलकर नीचे आ गिरते हैं। सात बार इस तरह का प्रयास होता है। इसमें अगर पहलवान जीत जाते हैं, तो ठाकुरजी का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रसादी उपहार स्वरूप भेंट की जाती है।

    ये भी पढ़ेंः Shri Krishna Janmashtami: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दर्शन की ये है व्यवस्था