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    Sadhvi Ritambhara: पद्मभूषण से सम्मानित साध्वी ऋतंभरा, 1982 में ली गुरु परमानंद से दीक्षा; 2001 में वात्सल्य ग्राम बनाया

    Updated: Sun, 26 Jan 2025 07:33 AM (IST)

    Sadhvi Ritambhara Padma Bhushan Update News पद्मभूषण से सम्मानित वृंदावन की साध्वी ऋतंभरा ने सैकड़ों निराश्रित बच्चों को ममता की छांव दी है। राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाली साध्वी ऋतंभरा ने वृंदावन में वात्सल्य ग्राम की स्थापना की जहां उन्होंने समाज से ठुकराए हुए बच्चों को आश्रय दिया। उनकी तपस्या और समर्पण ने उन्हें यह सम्मान दिलाया है।

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    वृंदावन की पद्मभूषण से सम्मानित साध्वी ऋतंभरा। सौजन्य से वात्सल्य ग्राम

    जागरण संवाददाता, मथुरा। सौम्यता और वात्सल्य की प्रतिरूप साध्वी ऋतंभरा के आगे एक और पद जुड़ गया। अब उन्हें पद्मभूषण साध्वी ऋतंभरा के नाम से जाना जाएगा। सैकड़ों निराश्रित बच्चों की पालनहार बनी दीदी मां को उनकी तपस्या भरी समाजसेवा को देख उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया। इन दिनों प्रयागराज के महाकुंभ में वह प्रवास पर हैं। पद्मभूषण मिलने की जानकारी पर उन्हें अनुयायियों ने बधाई दी।

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    सैकड़ों बच्चों की पालनहार हैं राममंदिर आंदोलन को धार देने वाली साध्वी

    लुधियाना के दोराहा गांव में एक जनवरी 1964 को जन्मी साध्वी ऋतंभरा को यह मुकाम ऐसे ही नहीं है, इसके पीछे उनकी तपस्या, त्याग और समर्पण है। राम मंदिर आंदोलन में अपने ओजस्वी भाषणों के जरिए लोगों में जोश का संचार करने वाली साध्वी ऋतंभरा का घरेलू नाम तो निशा था। पांच भाई और दो बहनों में सबसे छोटी निशा का 16 वर्ष की उम्र में ही अध्यात्म में मन लग गया।

    मथुरा: साध्वी ऋतंभरा।फोटो-सौजन्य से वात्सल्य ग्राम

    1982 में ली थी गुरु परमानंद से दीक्षा

    बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थीं, घर छोड़ दिया। संत के रूप में स्वामी परमानंद मिले। उन्हें अपना गुरु बनाया। वर्ष 1982 में उन्हें स्वामी परमानंद ने दीक्षा दी और नाम रखा ऋतंभरा। कुछ वर्ष बाद राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ, तो साध्वी ऋतंभरा ने जनजागरण का बीड़ा उठाया। उनके भाषण सुनने को हजारों की भीड़ जुटती थी। इस आंदोलन के बाद उनका एक नया रूप दिखाई दिया। यह थाम वात्सल्य का।

    वृंदावन में वर्ष 2001 में वात्सल्य ग्राम बनाया

    वृंदावन में वर्ष 2001 में वात्सल्य ग्राम बनाया। यहां उन बच्चों को आश्रय मिला, जिन्हें उनके अपनों ने ठुकरा दिया था। यहां हर परिवार की तरह मां हैं, मौसी हैं, भाई और बहन हैं। इन बच्चों की अच्छी पढ़ाई से लेकर विवाह तक की जिम्मेदार खुद साध्वी ऋतंभरा उठाती हैं। यह ऋतंभरा की साधना ही है कि उनके इस परिवार में कोई डाक्टर बना, कोई सीए, कोई इंजीनियर बना और कोई अधिवक्ता।

    बच्चों के लिए बालिका सैनिक स्कूल सहित अन्य समाजसेवा  संस्थाएं हैं संचालित

    साध्वी ऋतंभरा केवल वात्सल्य ग्राम का संचालन ही नहीं करतीं। उनके द्वारा बालिका सैनिक स्कूल, आदिवासी बेटियों के लिए स्कूल के अलावा समाजसेवा के लिए कई संस्थाएं संचालित की जाती हैं। पिछले वर्ष ही बालिका सैनिक स्कूल का शुभारंभ करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आए थे।

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