Banke Bihari Vrindavan: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी ऐसी भीड़ कि बिगड़ गए हालात, चीख उठे बच्चे और महिलाएं
Banke Bihari Mandir Vrindavan ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया। बाजार और गलियों में भीड़ का दबाव इतना बढ़ गया कि महिलाओं और बच्चों की चीख निकल पड़ी। बुजुर्ग श्रद्धालुओं को भीड़ से बाहर निकालना पड़ा। भीड़ के दबाव और आपाधापी के कारण श्रद्धालुओं को सहूलियत भरे दर्शन भी नहीं हो सके।

संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी तो व्यवस्थाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई। बाजार और गलियों में भीड़ का दबाव ऐसा बना कि महिलाओं और बच्चों की चीख निकल पड़ी। बुजुर्ग श्रद्धालु तो भीड़ के बीच ऐसे फंसे कि उन्हें बाहर निकालना पड़ गया। मंदिर के एंट्री प्वाइंटों से भीड़ के रूप में श्रद्धालु आगे बढ़ रहे थे।
पूूरे बाजार में कदम रखने तक को जगह नहीं थी। गलियों में भीड़ के दबाव में फंसकर श्रद्धालुओं की हालत खराब हो रही थी। मंदिर के एंट्री प्वाइंट से प्रांगण तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को करीब दो घंटे का समय लग रहा था। बावजूद इसके मंदिर के अंदर भीड़ के दबाव और आपाधापी के माहौल में श्रद्धालुओं को सहूलियत भरे दर्शन भी संभव नहीं हो सके और धक्का लगते ही श्रद्धालु भीड़ से बाहर की ओर पहुंचते रहे।
बैरियर पर रोके श्रद्धालु, हालात हुए खराब
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार की सुबह दर्शन खुलने से पहले ही हजारों भक्तों की भीड़ का दबाव बन गया। गलियों में भीड़ का दबाव बनता देख पुलिस ने बैरियर पर श्रद्धालुओं को रोकना शुरू किया तो बैरियर पर रुकने के साथ ही पीछे से भीड़ का रेला आगे बढ़ता रहा। बैरियर पर भी दबाव बन रहा था।
भीड़ के दबाव में श्रद्धाुलओं की हालत खराब होने लगी। दुकानदारों ने श्रद्धालुओं को पानी पिलाकर राहत दी। लेकिन, दबाव ऐसा कि महिलाओं और बच्चों की चीख निकल रही थी। आगे बढ़ने की होड़ में कई बार आपाधापी का माहौल बना। पुलिसकर्मियों ने हालात पर काबू पाने के लिए दिनभर पसीना बहाया।
वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को दर्शन को आई भीड़ से बाजार में बना रहा दबाव। बैरियर पर रोके जाने से पूरे रास्ते में भीड़ से बनता है दबाव। - फोटो: जागरण।
दो घंटे में पहुंचे प्रांगण
मंदिर की गलियों और बाजार में भीड़ का दबाव झेलते हुए करीब दो घंटे में जब श्रद्धालु प्रांगण में पहुंचे तो भोग और माला अर्पित करने की होड़ में श्रद्धालुओं में आपाधापी का माहौल बनता रहा। ऐसे में हजारों श्रद्धालु दर्शन भी न कर सके और भीड़ से बाहर होकर मंदिर से बाहर निकलना ही उचित समझा।
वन-वे रूट होने के बावजूद श्रद्धालुओं को रोकने पर बढ़ती है मुश्किल
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए जिला प्रशासन की व्यवस्था छह महीने बाद भी मजबूत नहीं हाे सकी। मंदिर में वन-वे रूट होने के कारण श्रद्धालुओं का आमना-सामना नहीं हाे रहा। लेकिन, एक ही रूट पर चलते श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव बनाने में मंदिर आने वाले रास्तों पर लगाई गई बैरिकेडिंग इसका मुख्य कारण बन रही हैं। बैरिकेडिंग पर श्रद्धालुओं को रोक-रोककर आगे बढ़ाए जाने पर कम भीड़ होने के बाद भी श्रद्धालुओं का दबाव नजर आता है। जबकि वन-वे रूट चलने के साथ मंदिर में श्रद्धालुओं का ठहराव बंद करवाया जाए, ताकि लगातार श्रद्धालु दर्शन कर आगे बढ़ते रहें।
मंगला आरती पर हुआ था हादसा
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ का दबाव लगातार बनता रहा है। तीन साल पहले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला आरती के दौरान हुए हादसे के बाद पुलिस और प्रशासन ने मंदिर में आने और बाहर निकलने के लिए वन-वे रूट व्यवस्था लागू कर दी। बैरिकेडिंग पर रोककर श्रद्धालुओं को आगे बढ़ाने की योजना राहत देने के बजाय मुश्किल खड़ी कर रही है।
चूंकि श्रद्धालुओं को करीब दस से पंद्रह मिनट तक बैरिकेडिंग पर रोका तो इसलिए जा रहा है कि मंदिर के अंदर भीड़ का दबाव न बने। लेकिन, मंदिर के अंदर से श्रद्धालुओं को बाहर नहीं निकाला जाता है। परिणामस्वरूप गली में भीड़ का दबाव बढ़ते ही श्रद्धालुओं का दम घुटने लगता है। सर्दियों में हालात आए दिन खराब हो रहे हैं, तो गर्मी के दिनों में स्थिति बिगड़ते देर नहीं लगेगी।
ये भी पढ़ेंः नहीं रहे 23 घंटे में 85 सर्जरी करने वाले डॉक्टर अजय प्रकाश, तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने किया था सम्मानित
मंदिर तक तीन बैरियर से गुजरते श्रद्धालु
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के रास्ते में बैरियर में भीड़ का दबाव बढ़ता है, इसके बाद ही बैरियर को खोला जाता है। विद्यापीठ से आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले विद्यापीठ की बैरियर, इसके बाद पुलिस चौकी के सामने गली में बैरिकेडिंग और फिर मंदिर चबूतरा पर बैरिकेडिंग में खड़े होने पर ही करीब एक से दो घंटे का समय लग जाता है। बैरिकेडिंग खुलने पर श्रद्धालु मंदिर में अंदर पहुंचने की जल्दीबाजी में दौड़ना शुरू करते हैं और स्थित बेकाबू हो जाती है। अगर वन-वे रूट होने के बाद मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का ठहराव खत्म कर दिया जाए तो ऐसा नहीं हो सकेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।