Banke Bihari Mandir: स्वर्ण-रजत हिंडोला और स्वतंत्रता दिवस का है अनूठा कनेक्शन, 78 वर्ष पुराना इतिहास
स्वतंत्रता दिवस के दिन वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारीजी को एक नया स्वर्ण-रजत हिंडोला मिला। उसी दिन हरियाली तीज थी और ठाकुरजी पहली बार इस हिंडोले में विराजमान हुए। यह हिंडोला सेठ हरगुलाल बेरीवाला ने बनवाया था। यह एक संयोग था कि जिस दिन देश आजाद हुआ उसी दिन बांकेबिहारी सोने-चांदी के हिंडोले में झूल रहे थे। आज भी वे उसी हिंडोले में दर्शन देते हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाकर देश आजादी के पहले दिन आजादी की हवा का अहसास कर रहा था कि इसी दिन एक और बड़ा बदलाव वृंदावन में भी देखने को मिला। करीब पांच सौ वर्ष से कुंज-लताओं में हिंडोला में विराजित होकर हरियाली तीज पर झूलने वाले ठाकुर बांकेबिहारीजी को नया दिव्य व कलात्मक स्वर्ण-रजत हिंडोला मिला।
इसी दिन पड़ी हरियाली तीज पर पहली बार ठाकुर बांकेबिहारीजी भी स्वर्ण-रजत हिंडोला में विराजे। आज भी इसी दिव्य और भव्य कलात्मक स्वर्ण-रजत हिंडोला में ठाकुर जी विराजते हैं।
हरियाली तीज के लिए हिंडोला में देते हैं भक्तों को दर्शन
ठाकुर बांकेबिहारी सावन में हरियाली तीज के दिन ही हिंडोला में भक्तों को दर्शन देते हैं। दूसरे मंदिरों में हिंडोला उत्सव 15 दिनों तक चलता है। ठाकुरजी के हिंडोला उत्सव की शुरुआत उनके प्राकट्यकर्ता संगीत सम्राट स्वामी हरिदास ने साढ़े पांच सौ वर्ष पहले निधिवन राज मंदिर में की थी। ठाकुरजी को लता-पताओं से बने हिंडोला में बिठाकर स्वामी हरिदास लाड़-लड़ाते थे। इसी परंपरा का निर्वहन उनके सेवायतों ने जारी रखा। लगभग 78 वर्ष पहले जब देश अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ और लाल किले पर तिरंगा फहराया गया।
78 वर्ष पहले स्वतंत्रता दिवस के दिन पड़ी थी हरियाली तीज
देश ने आजादी की हवा में पहली बाद सांस ली। ठीक इसी दिन 15 अगस्त 1947 को ठाकुर बांकेबिहारीजी पहली बार बेशकीमती स्वर्ण-रजत हिंडोले में झूले। इसी दिन पड़ी हरियाली तीज को वाराणसी में तैयार हुए स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर ठाकुर बांकेबिहारीजी ने भक्तों को दर्शन दिए। आज भी इसी हिंडोले में आराध्य अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।
आज भी उसी हिंडोले में विराज दर्शन देते हैं बांकेबिहारी
15 अगस्त 1947 के दिन ही वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर व बरसाना के लाडलीजी मंदिर में सावन मास में भगवान को झुलाने के लिए सोने-चांदी के झूले (हिंडोले) मंदिर को समर्पित किए गए थे। यह एक संयोग है कि 15 अगस्त के दिन जब सभी देशवासी पहला स्वतंत्रता दिवस मना रहे थे, बांकेबिहारी भी उस दिन सोने व चांदी से बने अनुपम हिंडोला में झूल रहे थे। कोलकाता निवासाी ठाकुरजी के भक्त सेठ हरगुलाल बेरीवाला ने ये स्वर्ण-रजत हिंडोला वाराणसी के कारीगरों से बनवाया था।
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