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    Sant Premanand: आशुतोष राणा ने संत प्रेमानंद को सुनाया शिव तांडव, अभिनेता की बातों पर खिल-खिलाकर हंस पड़े महाराज

    Updated: Thu, 27 Feb 2025 08:39 PM (IST)

    फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने गुरुवार को मथुरा के रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज में संत प्रेमानंद के दर्शन किए। उन्होंने संत को शिव तांडव सुनाया जिससे संत प्रसन्न हो गए। आशुतोष राणा ने संत के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी की और उनकी दीर्घायु की कामना की। उन्होंने संत को बताया कि उनके गुरु दद्दाजी की कृपा से उन्हें भगवान शिव की भक्ति का मार्ग मिला।

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    मथुरा: वृंदावन के श्रीराधा केलिकुंज में संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लेने पहुंचे फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा। फोटो सौ. सोशल मीडिया

    जागरण संवाददाता, मथुरा। फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा गुरुवार को संत प्रेमानंद के दर्शन को पहुंचे। उन्होंने संत को शिव तांडव सुनाया तो वह प्रसन्न हो गए। आशुतोष राणा ने संत के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी की। 

    जवाब मिला दोनों किडनी खराब हैं, कितने दिन की जिंदगी है, कह नहीं सकते। संत का चेहरा एकटक निहारा और फिर आशुतोष राणा बोले, देखकर भरोसा हो गया कि किडनी भले ही खराब हैं, लेकिन स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है। 

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    उम्मीद है कि आपका 80 से 85 वर्ष की आयु तक कुछ बिगड़ने वाला नहीं। बात ऐसी थी, तो संत ने ठहाका लगाया और बोले सब ईश्वर की कृपा है।

    रमणरेती स्थित श्रीराधा केलिकुंज में गुरुवार सुबह पहुंचे फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लिया और शिव तांडव सुनाया। 

    गुरु की कृपा से शिवभक्त बने राणा

    भगवान शिव की भक्ति के बारे में कहा कि मैं अपने गुरु दद्दाजी की शरण में 1984 में आ गया। मेरे ऊपर उनकी अनूठी कृपा रही कि 2020 तक अंतिम सांस में उनके चरणों के सामने रहा।

    राणा ने बताया कि दद्दाजी ने अपने जीवन में 131 पार्थिव शिवलिंग निर्माण महोत्सव व यज्ञों का आयोजन किया। 130 यज्ञों में उनको अपने साथ रखा। करीब छह अरब शिवलिंग निर्माण के दौरान मैं साथ रहा। तभी से भगवान शिव की कृपा भी है।

    राणा को भक्ति पथ पर चलने का संदेश मिला

    राणा ने जब संत प्रेमानंद के स्वास्थ्य पर चर्चा की तो वह बोले रोज डायलिसिस हो रही है। राणा बोले आपके दर्शन करके प्रतीत नहीं होता आप किसी तरह बीमार हैं। आपका स्वास्थ्य दीर्घायु का संदेश दे रहा है।

    संत ने फिर कहा, अपनी प्रतिष्ठा, अपने धन व भोग वासनाओं को एकतरफ कर भक्तिपथ की ओर चलना बड़ा कठिन हो जाता है। लोक प्रतिष्ठा मिलती है, इसलिए आगे बढ़ने की चेष्टा नहीं होती। उन्होंने भक्ति पथ पर चलने का संदेश राणा को दिया।

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