संत प्रेमानंद के स्वास्थ्य की कामना को 119 दिन से दंडवत यात्रा कर रहा युवक, हाथ-पैर छिल गए; लेकिन नहीं डिगा इरादा
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में, एक युवक संत प्रेमानंद के स्वास्थ्य की कामना करते हुए 119 दिनों से दंडवत यात्रा कर रहा है। इस कठिन यात्रा में उसके हाथ-पैर ...और पढ़ें

लखनऊ के काकोरी से 119 दिन पहले शुरु की थी दंडवत यात्रा। जागरण
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। किसी अपने की सलामती के लिए की गई प्रार्थना जब संकल्प बन जाए, तो आस्था राह बना लेती है। प्रेमानंद के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना लिए करन ने ऐसी ही आस्था के साथ दंडवत यात्रा का कठिन संकल्प लिया है। 119 दिन पहले लखनऊ से शुरू हुई यह यात्रा आज लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है।
119 दिन बाद मैनपुरी पहुंची दंडवत यात्रा के दौरान करन ने बताया कि प्रेमानंद के अस्वस्थ होने की खबर ने उसे भीतर तक झकझोर दिया। तभी उसने मन ही मन यह प्रण लिया कि जब तक मंजिल तक नहीं पहुंचेगा, हर कदम दंडवत करते हुए ही आगे बढ़ेगा। चिलचिलाती धूप, ठिठुरती सर्दी, बारिश और थकान कुछ भी उसके इरादे को डिगा नहीं सका।
कई बार शरीर जवाब देने लगा, हाथ-पैर छिल गए, लेकिन मन में बस एक ही प्रार्थना रही प्रेमानंद स्वस्थ हो जाएं। यात्रा के दौरान रास्ते में मिलने वाले लोग करन की दृढ़ इच्छाशक्ति को देखकर भावुक हो उठते हैं। कहीं ग्रामीण उसे पानी पिलाते हैं, कहीं फल-भोजन देकर आशीर्वाद देते हैं। कई स्थानों पर श्रद्धालु उसके साथ कुछ दूरी तक दंडवत कर सहभागी भी बने। करन कहता है कि लोगों का यह स्नेह ही उसकी ताकत है। वह मानता है कि यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और विश्वास के लिए है।

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