वक्फ संशोधन विधेयक को रामगोपाल यादव ने बताया असंवैधानिक, कहा - 'सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहा विपक्ष'
निजी कार्यक्रम में भाग लेने आए सपा नेता ने भाजपा पर बोला हमला। सपा राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए इसकी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान की अनदेखी कर बनाया गया है और यह तानाशाही सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का काम कर रही है। विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया है।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। सपा राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने कहा कि जिन लोगों ने वक्फ बिल के समर्थन में वोट किया वो सभी भाजपा के सहयोगी हैं। इसके अलावा किसी भी दल ने इस बिल का समर्थन नहीं किया। बिल के विरोध में विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया है, क्योंकि वक्फ कानून सीधे-सीधे संविधान का उल्लंघन कर रहा है।
रामगोपाल यादव ने कहा, कि हमारे संविधान में जो मौलिक अधिकार हैं, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता के रहते हुए उस समुदाय को पूरा प्रबंधन करने का अधिकार है।
सरकार आजादी दबाने का कर रही काम
सोमवार को जागीर में निजी कार्यक्रम में पहुंचे सपा राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने पत्रकारों से बातचीत में वक्फ कानून की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और इसे संविधान की अनदेखी कर बनाया गया है। ये तानाशाही सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने का काम कर रही है। सपा हमेशा इसका विरोध करेगी। सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इसी तरह के मुद्दे सामने लाती है। अब जनता पूरी तरह से इस दमनकारी सरकार से ऊब चुकी है।
कानून व्यवस्था के मामले में सरकार पूरी तरह फेल
रामगोपाल ने कहा कि ये सरकार बेरोजगारी, महंगाई और कानून व्यवस्था के मामले में पूरी तरह से फेल हो गई। इसी वजह से जनता का ध्यान भटकाने के लिए ये बिल लाया गया। मुजफ्फरनगर में वक्फ बोर्ड का विरोध करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के मामले में उन्होंने कहा कि मुकदमा लिखाना तो सरकार के लिए अब आम बात हो गई है। विपक्ष का कोई भी नेता और कार्यकर्ता यदि सड़क से निकल भी जाए तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है।
सपा नेत्री के खिलाफ नोटिस पर कही ये बात
शायर मुनव्वर राणा की बेटी और सपा नेत्री सुमैया राणा के खिलाफ नोटिस जारी होने के सवाल पर रामगोपाल ने कहा कि उन्होंने इस सरकार के तानाशाही रवैये से हम लोकतांत्रित स्टेट से अधिनायकवादी राज की ओर बढ़ रहे हैं। जहां विपक्ष का विरोध सहने की सरकार में इच्छाशक्ति ही खत्म हो जाती है।
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