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    UP Upchunav Result: यूपी की इस हॉट सीट पर फेल हुआ भाजपा का हर दांव, गढ़ बचाने में सपा कामयाब

    Updated: Sat, 23 Nov 2024 05:40 PM (IST)

    करहल उपचुनाव में सपा ने भाजपा की पूरी ताकत के बावजूद अपना दबदबा कायम रखा। सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव ने भाजपा के अनुजेश यादव को हराया। सपा के इस गढ़ को तोड़ने के लिए भाजपा ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक सहित कई मंत्रियों को प्रचार में उतारा लेकिन सैफई परिवार की एकजुटता और यादव मतों के समर्थन ने भाजपा की रणनीति को विफल कर दिया।

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    उत्तर प्रदेश उपचुनाव परिणाम - जागरण ग्राफिक्स।

    जागरण संवाददाता, मैनपुरी। करहल विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना दबदबा कायम रखा। सपा के गढ़ को ढहाने की भाजपा की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुईं। इस सीट को सपा का गढ़ कहा जाता है। वर्ष 1993 से लेकर अब तक इस सीट पर सपा को केवल एक बार वर्ष 2002 में पराजय मिली थी।

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    वर्ष 2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने इस सबसे सुरक्षित गढ़ से ही चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे। अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया था। वहीं भाजपा ने यादव चेहरे के तौर पर सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया था।

    भाजपा ने झोंकी थी पूरी ताकत

    भाजपा इस बार सपा के इस गढ़ को ढहाने के दावों के साथ पूरी ताकत झोंकी थी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को सीट का जिम्मा सौंपा गया था और उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री अजीत पाल को लगाया गया था।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चुनाव की घोषणा से पहले करहल क्षेत्र में कार्यक्रम किए थे। प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने घिरोर विधानसभा क्षेत्र में जनसभा की थी। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपनी जनसभा में शामिल नहीं हो सके थे। वहीं अन्य मंत्री लगातार क्षेत्र में प्रचार में जुटे रहे।

    गढ़ बचाने जुट गया था पूरा सैफई परिवार

    दूसरी तरफ अपने गढ़ को बचाने के लिए सांसद डिंपल यादव सहित पूरा सैफई परिवार प्रचार में जुटा रहा था। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी घिरोर क्षेत्र में जनसभा की थी। चुनाव के दौरान सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच का मुकाबला चर्चा का केंद्र बना रहा।

    भाजपा यादव मतों में सेंधमारी के साथ अन्य जातीय मतों की गोलबंदी की रणनीति पर काम कर रही थी। परंतु उनकी यह कोशिश कामयाब नहीं हुई। यादव मतों में मामूली सेंधमारी दिखा, जो बेअसर रही। दूसरी सपा अन्य जातियों के मतों में सेंधमारी करने में सफल रही।

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