Mainpuri By Election 2022: पिछड़ों के सिर सवर्ण सजाएंगे ताज, सपा- भाजपा ने खेला है जातीय समीकण का दांव
Mainpuri By Election 2022 मैनपुरी उप चुनाव में तीन लाख से अधिक ऐसे मतदाता बनाएंगे सांसद। सपा और भाजपा ने जातीय समीकरण साधने को उतारे मोहरे। उप चुनाव में ब्राह्मण जाटव और कश्यप बिरादरी से जुड़े तीन प्रत्याशियों के नामांकन जांच में निरस्त हो गए।
मैनपुरी, श्रवण शर्मा। उप चुनाव में भले ही छह प्रत्याशी बचे हाें, परंतु पूरी तस्वीर नाम वापसी के बाद सामने आएगी। फिलहाल मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होना है। सपा से डिंपल यादव और भाजपा से रघुराज सिंह शाक्य मैदान में हैं, दोनों ही पिछड़ा वर्ग से आते हैं। मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी काफी है। ऐसे में दोनों प्रत्याशियों में से किसी एक के सिर पर सजने वाले ताज का दारोमदार ठाकुर, वैश्य और ब्राह्मण मतदाताओं के हाथों में होगा।
ये है मैनपुरी में जातीय समीकरण
यादव बाहुल्य मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं की भागेदारी दूसरे नंबर पर है तो कश्यप, बघेल, नाई, स्वर्णकार, शाक्य- मौर्य आदि बड़ी संख्या वाले मतदाता इस सीट को पिछड़ों की बड़ी संख्या से जोड़ते हैं। लोध बिरादरी इस पिछड़ों की मतदाता संख्या को और आगे बढ़ाती है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रहे उप चुनाव में भले ही दोनों दलों के बीच पिछड़ों के मतों को हासिल करने की होड़ मची हो, लेकिन सवर्ण मतदाताओं को भी कम नहीं आंका जा रहा। ऐसे में तीन लाख से अधिक संख्याबल वाले सवर्ण मतदाताओं को लुभाने के लिए दोनों ही दल एड़ी-चोटी का जोर लगाने में लगे हैं। ब्राह्मण समाज से जुड़े रमाकांत दुबे का कहना है कि चुनाव में हर कोई अपनी बिरादरी को पूछता है, ऐसे में जो इस समाज का आशीर्वाद हासिल कर लेगा, वह ही सांसद बन जाएगा।
सवर्णों को साधने को उतारे मोहरे
सवर्ण मतदाताओं को साधने के लिए दोनों की दल जोर लगा रहे हैं। सपा और भाजपा ने ठाकुर, वैश्य और ब्राह्मण मतादाताओं को लुभाने के लिए जिले के अलावा दूसरों जिलों से प्रभावशाली राजनेताओं को मैदान में उतारा है। शहर से गांव तक बिरादरी के यह मोहरे सजातीय मतदाताओं को अपने प्रत्याशी के पाले में करने के लिए संपर्क अभियान के साथ बैठकों पर भी फोकस कर रहे हैं। समाज में खास पकड़ रखने वाले स्थानीय लोगों को इसके लिए साथ भी लिया जा रहा है।
यह जातियां भी निभाएंगी साथ
उप चुनाव में ब्राह्मण, जाटव और कश्यप बिरादरी से जुड़े तीन प्रत्याशियों के नामांकन जांच में निरस्त हो गए। जाटव और कश्यपों के अपनी बिरादारी वाले प्रत्याशी के पक्ष में झुकने की संभावना अब नामांकन निरस्त होने से समाप्त हो गई है।