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    जब महात्मा गांधी की सभा से डरे अंग्रेज... आर्य समाज मंदिर में गरजे थे बापू, आंदोलन से डोली थी ब्रिटिश हुकूमत

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 01:03 PM (IST)

    मैनपुरी में 1929 में महात्मा गांधी की सभा को रोकने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने पूरी कोशिश की थी। 20 सितंबर को आर्य समाज मंदिर में बापू की सभा हुई जिसमें भारी भीड़ उमड़ी। अंग्रेजों ने सभा रोकने की कोशिश की लेकिन भीड़ के आगे उनकी हिम्मत टूट गई। गांधीजी ने यहीं से आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था।

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    स्टेशन रोड पर स्थिति आर्य समाज मंदिर, यहीं परिसर में महात्मा गांधी ने जनसभा को संबोधित किया था। जागरण

    बीरभान सिंह, मैनपुरी। 1857 की क्रांति से भड़की विद्रोह की ज्वाला ने देशभर के क्रांतिकारियों को आंदोलित कर दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी की जड़ें उखाड़ने के लिए देशभक्तों के मन में भावनाओं का ज्वार भी हिलोरें मार रहा था। वर्ष 1900 के बाद ''राष्ट्रपिता'' महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन की धमक भी बढ़ने लगी थी। बापू देशभर में पदयात्रा कर भारतीयों को जगा रहे थे।

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    'मैनपुरी षड्यंत्र कांड' के बाद जिले में क्रांतिकारी गतिविधियां पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थीं। ऐसे में बापू के मैनपुरी में प्रवेश से पूरी ईस्ट इंडिया कंपनी चौकन्नी हो गई थी। उनकी सभा काे रोकने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने पूरा दम झोंका था, लेकिन बापू के स्वागत को उमड़ी भीड़ का ज्वार देख गोरे अफसरों की हिम्मत टूट गई थी। नगर के स्टेशन रोड पर स्थित आर्य समाज मंदिर आज भी बापू के उस संबोधन की गवाही देता है।

    वर्ष 1929 में मैनपुरी में महात्मा गांधी की सभा नहीं होने देना चाहते थे ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी

    महात्मा गांधी 20 सितंबर 1929 को पदयात्रा करते हुए मैनपुरी पहुंचे थे। षड्यंत्र कांड के बाद से ही मैनपुरी को क्रांतिकारी गतिविधियों का बड़ा केंद्र बन चुका था। अंग्रेज अफसर यहां की छोटी-छोटी गतिविधियों पर भी नजर रखते थे। ऐसे में रणनीति बनाई गई कि महात्मा गांधी को जिले में सभा न करने दी जाए। रास्ते में हर जगह निगरानी बिठाई। जहां-जहां उनके स्वागत का कार्यक्रम होना था, वहां लोगों को डरा-धमकाकर भगा दिया गया था।

    20 सितंबर को आर्य समाज मंदिर में हुई थी बापू की सभा

    जनपदवासियों ने बापू के स्वागत को मिशन स्कूल (वर्तमान क्रिश्चियन इंटर कालेज) में स्वागत का कार्यक्रम निर्धारित किया था। डरी ब्रिटिश सरकार ने कुछ मिनटों के कार्यक्रम की ही अनुमति दी थी। योजना थी कि यहां स्वागत के बाद गांधीजी को आगे के लिए रवाना करा दिया जाएगा। साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्रा एड. बताते हैं कि सभा में महात्मा गांधी को 100 रुपये की एक थैली भेंट की गई थी।

    हजारों की भीड़ देख टूट गई थी गोरों की हिम्मत

    इस बीच जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी थी। क्रिश्चियन इंटर कॉलेज और आर्य समाज मंदिर परिसर के बीच एक दीवार का ही फासला था। बापू को नमन करने व एक झलक पाने के लिए लोग मिशन स्कूल की दीवारों, छतों के अलावा आर्य समाज मंदिर में लगे वृक्षों तक पर चढ़ गए थे।

    भीड़ का ऐसा विहंगम दृश्य देख घबराए अंग्रेज अफसरों ने अपने सिपाहियों को वहां से हटवा लिया था। कुछ मिनटों के लिए जो अनुमति दी थी, वह पाबंदी धरी की धरी रह गई थी। महात्मा गांधी ने भीड़ काे शांत करा आंदोलन में जुड़ने का आह्वान यहीं परिसर से किया था। गांधीजी ने आर्य समाज मंदिर परिसर में ही रात्रि प्रवास किया था।

    मैनपुरी ने दिया था भरपूर सहयेाग

    महात्मा गांधी को आंदोलन के लिए जनपदवासियों ने भरपूर आर्थिक सहयोग भी किया था। क्रिश्चियन इंटर कालेज में तो उन्हें 100 रुपये की थैली भेंट की ही गई थी। इससे पहले भी अंग्रेजी अफसरों को चकमा देकर कई जगह गुपचुप थैलियां दी गई थीं। फिर 21 सितंबर को बापू जब पैदल फर्रुखाबाद के लिए रवाना हुए तो करहल रोड और जेल चौराहा के पास स्थानीय लोगों ने फिर उन्हें रुपयों की थैली भेंट की थी।

    बिस्मिल और अशफाक भी पहुंचे थे

    क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां मैनपुरी षड्यंत्र कांड के समय से जिले में ही सक्रिय थे। वे यहां अक्सर ठहरकर क्रांतिकारियों को संगठित करने का काम करते रहते थे। महात्मा गांधी के आगमन के समय भी दोनाें यही मौजूद थे। बाद में वह उनकी सभा में शामिल हुए। अंग्रेज अफसरों को भी इसकी भनक थी, लेकिन हजारों की भीड़ में वे उन्हें पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। बापू को प्रणाम कर दोनों अपने मिशन पर रवाना हो गए थे।

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