टीईटी अनिवार्यता से परेशान शिक्षक ने दी जान, मृतक आश्रित में मिली थी नौकरी
कानपुर में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाए एक प्रधानाध्यापक ने घर में फंदा लगाकर जान दे दी। इंटर पास होने पर उन्हें नौकरी मिली थी। वे कुछ दिनों से साथी शिक्षकों से टीईटी और नौकरी की अनिवार्यता को लेकर चर्चा कर रहे थे। जबकि बीएसए ने इससे इन्कार किया है।

जागरण संवाददाता, महोबा। टीईटी के विरोध के बीच एक बुरी खबर सामने आई है। एक प्रधानाध्यापक ने टीईटी की अनिवार्यता से परेशान होकर जान दे दी। परिवार के लोग और सहयोगियों ने इसकी जानकारी दी। हालांकि बीएसए इससे इन्कार कर रहे हैं। प्रधानाध्यापक को मृतक आश्रित में नौकरी मिली थी और इंटर पास था।
जिले के विकासखंड कबरई के पूर्व माध्यमिक विद्यालय प्रेमनगर में तैनात प्रधानाध्यापक ने घर पर ही फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। हालांकि उन्होंने यह कदम क्यों उठाया इसका कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। घरेलू कलह को लेकर ऐसा करने की चर्चा है। वहीं साथी शिक्षकों के मुताबिक वह टीइटी की अनिवार्यता को लेकर परेशान थे। इसी को लेकर कुछ दिनों से अन्य शिक्षकों से बात करते रहते थे कि परीक्षा कैसे पास होगी। उन्हें मृतक आश्रित में नौकरी मिली थी। स्वजन बदहवास है और अभी कुछ नहीं बोल रहे। बीएसए राहुल मिश्रा का कहना है कि टीइटी का अभी कोई शासनादेश भी नहीं आया है, कोई घरेलू कारण रहा होगा। पुलिस इसकी जांच कर रही है।
शहर के चरखारी बाइपास रोड गांधीनगर निवासी 49 वर्षीय मनोज साहू पूर्व माध्यमिक विद्यालय प्रेमनगर में तैनात थे। सोमवार की सुबह उन्होंने घर के दूसरे खंड में बने कमरे में जाकर रस्सी से फंदा कसकर जान दे दी। पत्नी व बच्चे अपने कामों में व्यस्त थे। कुछ देर बात पत्नी ने ऊपर जाकर देखा तो वह दंग रह गई। शोरगुल सुनकर पड़ोसी एकत्र हो गए और सूचना पुलिस को दी गई।
पुलिस ने फंदा अलग कर उन्हें नीचे उतारा और जिला अस्पताल लेकर आई। लेकिन यहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दिवंगत की पत्नी चंद्रवती, 25 वर्षीय पुत्र सूर्यांश व 21 वर्षीय प्रज्ञांश बदहवास है और अभी तक कुछ भी नहीं बोल पा रहे। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रमाकांत मिश्रा ने बताया कि टीइटी की जबसे अनिवार्यता हुई है तो वह इसी को लेकर परेशान थे। 1992-93 में उन्हें मृतक आश्रित में नियुक्ति मिली थी।
प्रशिक्षण आदि जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें प्रधानाध्यापक पद पर तैनात किया गया। तब इंटर पास में ही भर्ती हो जाती थी। टीइटी के बारे में उन्होंने शिक्षक भगतसिंह आदि से भी बात की कि अब क्या होगा और परीक्षा इस उम्र में कैसे दी जाएगी। इसी से परेशान होकर उन्होंने फंदा लगाकर जान दे दी। अभी तक वह मामना के विद्यालय में थे, लेकिन दो माह पहले समायोजन के बाद प्रेमनगर में आ गए थे।
बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल मिश्रा का कहना है कि उनकी कुछ घरेलू समस्या रही होगी। टीइटी परीक्षा के लिए अभी शासनादेश व नियमावली भी नहीं आई है। कुछ लोग टीइटी को बीच में लाकर बिना वजह मामले को तूल दे रहे है। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली मनीष पांडेय ने बताया कि शव को लेकर आगे की कार्रवाई की जा रही है। घटना की वास्तविकता जानने के लिए गहनता से जांच की जा रही है।
ये है अनिवार्यता संबंधी फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर को दिए फैसले में कहा है कि कक्षा एक से कक्षा आठ तक को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा। फेल होने वालों को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी जाएगी। प्रोन्नति के लिए भी टीईटी पास करना अनिवार्य है। सिर्फ जिनकी नौकरी पांच वर्ष से कम बची है उन्हें टीईटी से छूट है। कोर्ट का आदेश शिक्षकों में हड़कंप मचा है। शिक्षक संघ विरोध में उतर आए हैं। 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।