Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के लिए मुश्किलें, 2011 के पहले नियुक्ति वालों को देनी होगी TET

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 06:06 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षकों को अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्राथमिक और जूनियर कक्षाओं के शिक्षकों को दो साल में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है अन्यथा उनकी नौकरी जा सकती है। बीएसए कार्यालय को शासन के आदेश का इंतजार है। शिक्षक संघ इस फैसले को अव्यावहारिक बता रहे हैं।

    Hero Image
    अब शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। वर्ष 2000 में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक भर्ती के समय जो पात्रता शर्तें रखीं गई थीं, उस समय वो शर्तें पूरी करके बतौर शिक्षक नियुक्ति पाई। अब अचानक 26 साल बाद टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्य किए जाने का फैसला अव्यावहारिक है। इससे निराशा हुई है। ये कहना है कि कंपोजिट विद्यालय, अहिरवां में पदस्थ शिक्षक राजकुमार अग्निहोत्री का।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये निराशा सिर्फ एक शिक्षक की नहीं बल्कि जिले के आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पदस्थ 6195 में से 3742 शिक्षकों की है। क्योंकि बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राथमिक और जूनियर कक्षाओं को पढ़ाने वाले यानी कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को दो साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करने और ऐसा न होने पर नौकरी जाने के दिए गए फैसले से संबंधित है। यह फैसला कानपुर नगर में 3742 शिक्षकों पर लागू होगा। बीएसए कार्यालय को अब शासन से फैसले पर अमल कराने के लिए पत्र आने का इंतजार है।

    सुप्रीम कोर्ट का टीईटी की अनिवार्यता के संदर्भ में आया निर्णय बेसिक शिक्षा विभाग की शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार लाने वाला है। इससे पदोन्नति में आ रही दिक्कतों का समाधान हो सकेगा लेकिन वर्ष 2011 के पूर्व नियुक्त पुराने शिक्षकों के संदर्भ में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर जोड़े गए बिंदुओं की समीक्षा जरूरी है। शासन द्वारा इन बिंदुओं को लेकर न्यायिक आधार पर प्रयास करना चाहिये जिससे दशकों से नौकरी कर रहे अध्यापकों का हित सुरक्षित रह सके।

    अनुग्रह त्रिपाठी, प्रांतीय संयोजक, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक महासभा।

    सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकारी शिक्षकों के हित में नही है। सरकार यदि फैसले पर अमल कराती है तो शिक्षकों की सेवाएं प्रभावित होंगी। अधिकांश शिक्षकों के पास शासन और प्रशासन ने इतने कार्य सौंप रखे हैं कि वो कब टीईटी की तैयारी कर सकेगा। इस फैसले से वर्ष 2011 से पूर्व की नियुक्ति वाले शिक्षकों के सामने निश्चित तौर पर टीईटी की तैयारी करने में मुश्किल आएगी। मेरा मानना है कि ये निर्णय शिक्षक के हित में नहीं है। ये अव्यावहारिक है।

    राकेश बाबू पांडेय, पूर्व जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ।

    comedy show banner
    comedy show banner