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    प्राइवेट में पढ़ाई करेंगे मछलीपालकों के बच्‍चे, 12th से लेकर ग्रेजुएशन तक की फीस देगी योगी सरकार; ये है आवेदन का प्रॉसेस

    By Jagran NewsEdited By: Vrinda Srivastava
    Updated: Sun, 26 Jan 2025 09:25 AM (IST)

    दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत मत्स्य पालकों के बच्चों की इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर की पढ़ाई की फीस राज्य सरकार देगी। योजना का लाभ निषाद रैकतार मांझी बिंद धीगर कश्यप मत्स्य आखेटक केवट तुरेहा् तुराहा मल्लाह गोडिया कहार समुदाय को मिलेगा। दो लाख रुपये से कम आय वाले मत्स्य पालकों के बच्चे इसके लिए विभागीय पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे।

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    मछलीपालकों के बच्‍चों की 12th से लेकर ग्रेजुएशन तक की फीस देगी योगी सरकार।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मत्स्य पालकों के बच्चों की इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर की पढ़ाई की फीस राज्य सरकार देगी। दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। योजना का लाभ उन बच्चों को मिलेगा, जो अन्य किसी योजना में इस तरह का लाभ न उठा रहे हों।

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    योजना का लाभ निषाद, रैकतार, मांझी, बिंद, धीगर, कश्यप, मत्स्य आखेटक, केवट, तुरेहा्, तुराहा, मल्लाह, गोडिया, कहार समुदाय को मिलेगा। दो लाख रुपये से कम आय वाले मत्स्य पालकों के बच्चे इसके लिए विभागीय पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे।

    देना होगा ये डॉक्‍युमेंट

    पात्रता के लिए एसडीएम द्वारा आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र देना होगा। यदि किसी छात्र को पिछड़ा वर्ग, समाज कल्याण और राज्य या भारत सरकार की किसी योजना के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिल रहा है तो उसे इसके लिए पात्र नहीं माना जाएगा।

    चार श्रेणियों में की जाएगी शुल्क प्रतिपूर्ति

    योजना के तहत इंटरमीडिएट के छात्रों को चार श्रेणियों में शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी। परास्नातक स्तर के सभी तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 50 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।

    परास्नातक स्तर के गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 30 हजार रुपये में से जो कम होगा, स्नातक स्तर के गैर तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 50 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। जबकि इंटरमीडिएट या उसके समकक्ष तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए दिया जाने वाला शुल्क या 10 हजार रुपये में से जो कम होगा, उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।

    नियमित पाठ्यक्रम पर रहेगा फोकस

    शासकीय, सहायता प्राप्त और निजी संस्थानों में स्ववित्त पोषित पाठयक्रमों के लिए उसी संस्थान में संचालित नियमित पाठ्यक्रम के शुल्क के अनुसार मिलेगी। प्रमुख सचिव के. रविन्द्र नायक ने इस संबंध में महानिदेशक मस्त्य विभाग को निर्देश दिए हैं।

    मत्स्य मंत्री ने दी जानकारी

    मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि मत्स्य पालकों के लिए कल्याण कोष बनाया गया है। इसके तहत शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का प्रावधान किया गया है और अब यह योजना लागू कर दी गई है। इस योजना के सहारे अब मत्स्य पालकों के बच्चे भी पढ़ेंगे और लिखेंगे।

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