यूपी व उत्तराखंड का 17 वर्ष पुराना मामला सुलझने के आसार, रावत की योगी से मुलाकात
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने लखनऊ के दो दिवसीय दौरे पर आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात हुई। भाजपा शासित दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मुलाकात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पांच, कालीदास मार्ग पर हुई।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात करीब दो मिनट तक चली। माना जा रहा है कि इनकी यह मुलाकात उत्तर प्रदेश की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर हुई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 17 साल बाद परिसंपत्ति के विवाद सुलझने की उम्मीद जताई है। इस मुलाकात के बाद बाहर निकले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिर्फ इतना कहा कि उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की परिसंपत्ति मामले का हल जल्दी निकल जाएगा। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत लखनऊ से देहरादून रवाना हो गए।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली। माना जा रहा है कि इनकी यह मुलाकात उत्तर प्रदेश की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर हुई है।
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इससे पहले लखनऊ में कल त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अब कोई दूरी नहीं रह गई है। जो दूरियां यहां पर पहले की सरकार ने पैदा की थी, उन्हें अब दोनों राज्यों की सरकार हल कर लेंगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कल लखनऊ में गोमती तट पर आयोजित उत्तराखंड महापरिषद में भी पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन के अलावा जो समस्याएं अभी तक हल नहीं हुई थी उन्हें चरणबद्ध तरीके से हल किया जाएगा। रावत ने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का संकल्प भी दोहराया।
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मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि उन्होंने तीन सौ करोड़ के नेशनल हाइवे घोटाले में लिप्त छह पीसीएस अफसरों को एक ही हस्ताक्षर से निलंबित कर दिया है। जांच सीबीआइ कर रही है। उत्तराखंड को 45 हजार करोड़ कर्ज से मुक्त करना है। यह कर्ज पांच साल में हर हाल में खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व की सरकारों में तैनात अफसरों ने जो भ्रष्टाचार किए हैं, उनकी तह तक जांच होगी। यूपी के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि पूर्व की सरकार ने अभी तक दोनों प्रदेशों के विकास में अड़ंगा लगा रखा था, अब इसे दूर कर लिया जाएगा।
16 साल से अटका है मामला
उत्तराखंड 9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर भारत का 27वां राज्य बना था। जिसके बाद से अब तक परिसंपत्ति के मामले को 16 साल हो चुके हैं। फिर भी अब तक मामले को सुलझाया नहीं जा पाया है।
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कुछ मुख्य लंबित मामले
सिंचाई विभाग: उत्तर प्रदेश के कब्जे में 266 आवास, दो गेस्ट हाउस, 36 सिंचाई की नहरें, 214 हेक्टेयर भूमि।
ग्राम्य विकास: उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद पर उत्तराखंड सरकार की ओर से निर्बल आवास योजनाओं के अंतर्गत ऋण समाधान व ऋण देनदारी।
पंचायती राज: उत्तर प्रदेश रिवाल्विंग फंड में उत्तराखंड के 13 जिलों की जिला पंचायतों की जमा धनराशि पर अर्जित ब्याज।
औद्योगिक विकास: उत्तर प्रदेश पर अनुबंध के मुताबिक बकाया ब्याज की 15 करोड़ से अधिक धनराशि
गृह विभाग: पिथौरागढ़ में 140 नाली भूमि।
तराई बीच एवं तराई विकास परिषद: 8.80 करोड़ की धनराशि।
परिवहन निगम: लखनऊ जिला मुख्यालय और दिल्ली स्थित राज्य अतिथि गृह की परिसंपत्ति का बंटवारा।
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