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    उत्तर प्रदेश इसमें भी नंबर वन, AI सड़क हादसे रोकने में करेगा मदद, प्रयोग करने वाला UP पहला राज्य

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 02:42 PM (IST)

    AI Will Help Preventing Road Accidents उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाएं खराब रोड इंजीनियरिंग मौसम की गड़बड़ी ड्राइवरों की कमी या अन्य कारणों से हुईं। इसका आज तक कोई विश्लेषण ही नहीं किया गया है। यही कारण है कि कई स्थानों पर दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है।

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    देश में पहली बार एआइ से मार्ग दुर्घटनाएं रोकने की कवायद

    निशांत यादव, जागरण, लखनऊ : जल्द ही सड़क दुर्घटनाओं के पीछे तकनीकी गड़बड़ियों का पता एआइ (कृत्रिम  बुद्धिमत्ता) से लगाया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनेगा, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित माड्यूल दुर्घटना के न केवल सटीक कारणों का पता लगाएगा, बल्कि दुर्घटनाओं को रोकने में भी मदद करेगा।

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    केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की एआइ और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित सड़क‑ सुरक्षा पायलट परियोजना को एनओसी प्रदान कर दी है। परिवहन विभाग ने परीक्षण के आदेश दे दिए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले राज्यों में एक है।

    इसी वर्ष जनवरी से जून तक कुल 25,830 सड़क दुर्घटनाओं से 14,205 लोगों की मौत हुई है। दुर्घटनाएं खराब रोड इंजीनियरिंग, मौसम की गड़बड़ी, ड्राइवरों की कमी या अन्य कारणों से हुईं। इसका आज तक कोई विश्लेषण ही नहीं किया गया है। यही कारण है कि कई स्थानों पर दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है।

    लखनऊ सहित 20 जिलों में पिछले वर्ष प्रदेश की 42 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल पर ही एआइ आधारित सड़क सुरक्षा परीक्षण की योजना तैयार की गई है। यह परीक्षण सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई आइटीआइ लिमिटेड व वैश्विक टेक‑पार्टनर एमलोजिका करेंगी। शासन ने इसके लिए दस करोड़ के बजट का प्रविधान किया है। पायलट प्रोजेक्ट में प्रारंभिक प्रूफ आफ कंसेप्ट का चरण छह  सप्ताह में पूरा करना होगा।

    सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दी उप्र के पायलट प्रोजेक्ट को एनओसी

    पूर्व अपर आयुक्त प्रवर्तन व सड़क सुरक्षा पुष्पसेन सत्यार्थी ने बताया कि अभी हादसों के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी की मैन्युअल रिपोर्ट को ही आधार माना जाता है। ऐसे में हादसों का असल कारण पता नहीं चलता। अब इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम वाले यूपी के 17 शहरों में इसे लागू किया जा सकता है। इसके बाद अधिक हादसों वाले दूसरे जिलों को चिह्नित कर वहां इसका उपयोग किया जा सकता है। आने वाले समय में बिना हेलमेट कोई चालक खड़ा है तो एआइ सिग्नल ग्रीन होने से रोक सकता है।भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दी उत्तर प्रदेश के पायलट प्रोजेक्ट को एनओसी

    UP सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले देश के राज्यों में से एक

    उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस साल जनवरी से जून तक कुल 25,830 सड़क दुर्घटनाओं से 14,205 लोगों की मौत हुई हैं। वर्ष 2024 में इसी अवधि में कुल 22391 दुर्घटनाओं में 12,043 मौतें हुई थीं। सड़क दुर्घटनाएं खराब रोड इंजीनियरिंग, मौसम की गड़बड़ी, ड्राइवरों में स्किल की कमी या अन्य कारणों से हुई है या नहीं। इसका आज तक कोई डाटा विश्लेषण ही नहीं किया गया है। अधिकांश दुर्घटनाओं में पुलिस वाहन के ड्राइवरों की ओवरस्पीड को मुख्य कारण बताती है। यहीं कारण है कि जिन स्थानों पर दुर्घटनाएं होती हैं, वहां उनकी पुनरावृत्ति होती रहती है। रिपोर्ट ही बताती है कि लखनऊ सहित 20 जिलों में पिछले साल प्रदेश की 42 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन सड़क हादसों को लेकर कई बार चिंता जतायी है। इसे देखते हुए परिवहन विभाग ने एआइ आधारित सड़क सुरक्षा परीक्षण करने की योजना तैयार की। यह परीक्षण सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई आइटीआइ लि. और वैश्विक टेक‑पार्टनर एमलोजिका शून्य‑लागत पर करेंगी। शासन ने पहले ही वर्ष 2025‑26 के बजट में डेटा‑संचालित प्रशासन माडल की आधारशिला रखते हुए 10 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया है।

    छह सप्ताह में बनेगी रिपोर्ट

    पायलट प्रोजेक्ट के तहत एआइ का उपयोग करते हुए प्रारंभिक प्रूफ आफ कंसेप्ट का चरण छह सप्ताह में पूरा करना होगा। इसके तहत कई स्रोतों से डेटा को एकत्र कर दुर्घटना रिपोर्ट तैयार कर उसे भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जाएगा। मौसम के कारण होने वाली दुर्घटनाओं, वाहनों की गड़बड़ी , ड्राइवर के कौशल और सड़क की विसंगतियां व रोड इंजीनियरिंग के हर पहलुओं का डेटा एकीकृत कर एआइ माडल तैयार किया जाएगा। इससे दुर्घटनाओं के मूल कारणों की पहचान की जाएगी, साथ ही ब्लैकस्पाट की भविष्यवाणी और रीयल टाइम नीति तैयार की जा सकेगी।

    कई सेवाएं भी जोड़ने की तैयारी

    पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर एआइ के इस माडल को परिवहन विभाग फेसलेस लाइसेंस प्रक्रिया,परमिट प्रणाली, प्रवर्तन आधुनिकीकरण, राजस्व वसूली, ई-चालान और वाहन-सारथी प्लेटफार्म में भी लागू करेगा। फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस व परमिट प्रक्रिया से जोड़कर आवेदन, स्वीकृति व प्रिंटिंग की प्रक्रिया एआइ माडल से पूरी होगी। प्रवर्तन के सिस्टम में होने वाली धोखाधड़ी की पहचान, वाहन की स्थिति और नियम उल्लंघन की प्रवृत्ति के पूर्वानुमान जैसे माड्यूल जोड़कर चालान निर्गम और आनस्पाट कार्रवाई को अधिक वैज्ञानिक बनाया जाएगा। राजस्व प्रशासन, ई-चालान और वाहन सारथी डेटाबेस को पारदर्शी बनाया जाएगा, इससे कर‑देयता, शुल्क अदायगी और दस्तावेज़ वैधता पर स्वचालित अलर्ट मिलेगा।

    दुर्घटनाओं में कमी लाने में मदद

    परिवहन आयुक्त ब्रजेश  नारायण  सिंह ने बताया कि एआइ से अब सड़क दुर्घटनाओं के सही कारणों का पता लगाकर इसमें कमी लाने में मदद मिलेगी। सड़क सुरक्षा से आगे बढ़कर परिवहन विभाग एआइ का उपयोग सभी कोर सुविधाओं में करेगा। यूपी एआइ से मार्ग दुर्घटनाएं रोकने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।

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    कार्यान्वयन के लिए आइटीआइ-एमलोजिका टीम को विभागीय आइटी, प्रवर्तन व सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठों के साथ तत्काल कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दी गई है।

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    परियोजना पूरी होने पर एक विस्तृत परिणाम रिपोर्ट भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी। विधिक अनुपालन, डेटा‑गोपनीयता और साइबर‑सुरक्षा मानकों का निरंतर आडिट किया जाएगा।