अब यूपी की जेलों में कैदियों पर नज़र रखेगा जार्विस, AI का कमाल देख हर कोई हैरान
उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा सुरक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ा रही है। अवैध खनन रोकने के लिए एआई चेकगेट्स लगाए गए हैं और फतेहपुर में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर खुला है। लखनऊ में नई सॉफ्टवेयर लैब स्थापित होगी। एआई प्रज्ञा योजना के तहत 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। स्मार्ट खेती और सुरक्षित शहर परियोजना में भी एआई का उपयोग हो रहा है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल शिक्षा, सुरक्षा, कृषि, प्रशासन और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में तेजी से कर रही है। अवैध खनन रोकने के लिए 25 जिलों में 57 मानव रहित इंटरनेट आफ थिंग्स व एआइ आधारित चेकगेट्स लगाए हैं।
फतेहपुर में पहला एआइ आधारित ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट सेंटर खुला है। फार्मा रिसर्च और हेल्थ डाटा एनालिसिस में भी एआइ और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल हो रहा है। जल्द ही लखनऊ में आइबीएम की अत्याधुनिक ‘स्टेट आफ द आर्ट साफ्टवेयर लैब’ स्थापित होने जा रही है, जो एआइ-संचालित नवाचार, उत्पादकता और नागरिक सेवाओं को नई दिशा देगी।
हाल ही लांच हुई एआइ प्रज्ञा योजना में प्रदेश में 10 लाख लोगों को एआइ से प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। इसमें माइक्रोसाफ्ट, गूगल, इंटेल, गुवी जैसे टेक दिग्गजों के सहयोग से युवाओं, शिक्षकों, ग्राम प्रधानों, सरकारी कर्मियों और किसानों को एआइ, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
हर महीने 1.5 लाख लोगों को इंडस्ट्री-रेडी सर्टिफिकेशन के साथ प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्राम्य विकास, राजस्व और सचिवालय प्रशासन विभाग को खासतौर पर जोड़ा गया है।
17 नगर निगमों और गौतमबुद्धनगर में ‘सेफ सिटी’ प्रोजेक्ट के तहत एआइ-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जो नंबर प्लेट पहचान, फेशियल रिकग्निशन और एसओएस अलर्ट जैसे फीचर्स से लैस हैं। ये कैमरे 112 हेल्पलाइन और पुलिस कंट्रोल रूम से सीधे जुड़े हैं।
वहीं, कृषि में भी एआइ से स्मार्ट खेती पर जोर है। यूपी एग्रीस परियोजना के तहत 4000 करोड़ की लागत से 10 लाख किसानों को एआइ आधारित स्मार्ट खेती से जोड़ा जा रहा है। ड्रोन मैपिंग, कीट पहचान और स्मार्ट सिंचाई जैसे नवाचारों के साथ 10 हजार महिला समूह और किसान उत्पादक संगठन भी डिजिटल बाजार से जुड़ रहे हैं।
इसके साथ ही राजस्व विभाग चकबंदी और भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए सैटेलाइट इमेजिंग और एआइ एल्गोरिद्म का उपयोग कर रहा है। 70 जेलों में ''जार्विस'' नाम की एआइ से कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता में एआइ का प्रयोग किया गया। एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्विट्जरलैंड की ईटीएच यूनिवर्सिटी की एआइ तकनीक अपनाई है।प्रदेश न केवल एआइ को तेजी से अपना रहा है, बल्कि उसे आम जनता की जिंदगी में उपयोगी बना रहा है।
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