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    UP News: उत्तर प्रदेश में महंगी होगी बिजली, उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा सीधा असर; यह है बड़ा कारण

    By Anand MishraEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Fri, 27 Oct 2023 12:03 PM (IST)

    केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश के ताप बिजली घरों के लिए कोयला आयात करने की अवधि मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने के खिलाफ आवाज उठानी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि इससे उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

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    आयातित कोयले से महंगी होगी बिजली।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश के ताप बिजली घरों के लिए कोयला आयात करने की अवधि मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने के खिलाफ आवाज उठानी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि इससे उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

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    देश में कोयला उत्पादन बढ़ने के बावजूद विदेशी कोयला आयात करने के ऊर्जा मंत्रालय के निर्णय का आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाए हैं। दोनों संगठनों ने कहा है कि महंगा कोयला आयात करने से प्रदेश में बिजली की दर 70 पैसे से 1.10 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

    पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा उत्पादन

    आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि कोयला मंत्रालय के अनुसार कोयले का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। चालू वित्तीय वर्ष में 21 अक्टूबर तक 71.35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया गया है, जो इसी अवधि में पिछले वर्ष 60.44 मिलियन टन कोयला से (10.91 मिलियन टन अधिक) अधिक है।

    ऐसे में कोयला आयात जारी रखने का निर्देश केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को वापस लेना चाहिए। फेडरेशन ने यह भी कहा है कि यदि ऊर्जा मंत्रालय कोयला आयात करने का आदेश वापस नहीं लेता तो आयातित कोयले का अतिरिक्त खर्च मंत्रालय को खुद वहन करना चाहिए।

    1.10 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी दर

    उन्होंने कहा कि आयातित कोयला भारतीय कोयले की तुलना में सात से 10 गुणा तक महंगा होता है। ऐसे में छह प्रतिशत आयातित कोयला इस्तेमाल करने से बिजली की उत्पादन लागत 70 पैसे से 1.10 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी। स्वाभाविक है बिजली की इस बढ़ी हुई लागत का भुगतान सामान्य उपभोक्ताओं को करना पड़ेगा।

    जहां देसी कोयले की कीमत तीन हजार रुपये प्रति टन है, वहीं विदेशी कोयला 20 हजार रुपये प्रति टन के करीब आता है। स्पष्ट है कि छह प्रतिशत विदेशी कोयले के मिश्रण से उत्पादन लागत बढ़ेगी और इसका भार प्रदेश के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। 

    -अवधेश कुमार वर्मा, अध्यक्ष, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद।

    अवधेश वर्मा ने कहा उत्तर प्रदेश में वर्तमान में किसी भी उत्पादन इकाई में कोयले की कमी नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि पहले भी विदेशी कोयले की लड़ाई उपभोक्ता परिषद ने जीती थी और उत्तर प्रदेश में विदेशी कोयला नहीं खरीदा गया था। इस बार भी जरूरत पड़ी तो पूर्व के वर्षों की भांति उपभोक्ता परिषद याचिका दाखिल करेगा, क्योंकि इससे कहीं ना कहीं देश के एक बड़े निजी घराने को सबसे ज्यादा फायदा होगा।

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