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    UP News: अपने संसाधन से आय कमाने में पिछड़ी हैं उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतें, अब इस 'मास्टर प्लान' से होगी कमाई

    By Jagran NewsEdited By: Vivek Shukla
    Updated: Wed, 19 Mar 2025 05:45 PM (IST)

    ग्राम-पंचायतें अपने संसाधनों से आय अर्जित करने में पिछड़ रही हैं। पंचायती राज मंत्रालय ने आय बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए हैं जिसमें मानव संसाधन की कमी को दूर करना राजस्व संग्रह के लिए स्टाफ की तैनाती वाणिज्य संस्थानों से लाइसेंस फीस लेना भूमि कर को लागू करना पशु कर में बदलाव करना नान मोटराइज्ड और मोटराइज्ड वाहनों से शुल्क वसूलना पानी की आपूर्ति का शुल्क तय करना है।

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    ग्राम पंचायतें संसाधनों के अभाव में जूझ रही हैं। जागरण

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतें जहां संसाधनों के अभाव से जूझ रही हैं, वहीं वह अपने संसाधन से आय कमाने में भी बहुत पीछे हैं। पंचायती राज मंत्रालय ने प्रदेश की स्थिति को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी के अध्ययन के बाद आय बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए हैं।

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    अध्ययन में पता चला है कि पंचायतों में मानव संसाधन की कमी है। एक सचिव कई ग्राम पंचायतों का काम देख रहे हैं। इस कारण सर्विस डिलीवरी में कमी आ रही है। वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक सभी ग्राम पंचायत का अपने संसाधन राजस्व संग्रह शून्य रहा। केवल जलाबपुर गुदल ग्राम पंचायत ने 2023-24 में स्वच्छता उपभोग चार्ज वसूला था।

    वहां भी अकुशल कर्मचारी टैक्स संग्रहण, प्रोजेक्ट की निगरानी और तकनीकी सहायता दे रहे हैं। राजस्व संग्रह, गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए राज्य की ओर से एक स्टाफ की तैनाती और उनको टैक्स लगाने, एक्ट के प्रविधान के तहत अदेय राशि के आंकलन की विधि का प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया गया है।

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    कहा है कि टैक्स नियम की गाइड लाइन के अनुसार कर प्रशासन में सुधार और ग्राम पंचायत कर्मचारियों को दिए गए आदेश के पालन कराने की आवश्यकता है। वाणिज्य संस्थानों से लाइसेंस फीस लेने का अधिकार जिला पंचायत को है। अध्ययन में राज्य पंचायती राज एक्ट में संशोधन करके ग्राम पंचायतों को उनके क्षेत्र की दुकानों से अन्य स्रोत से आय के अधिकार देने की बात कही गई है।

    संसाधनों के अभाव में जूझ रही ग्रामीण। जागरण


    राज्य पंचायती राज एक्ट के तहत ग्राम पंचायतें भूमि कर ले सकती हैं। इसमें भी 25 से 50 पैसे प्रति रुपये का अंतर होता है। संपत्ति के मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए भूमि कर को लागू किये जाने की आवश्यकता है। तीन रुपये प्रति वर्ष पशु कर लगाने की शक्ति ग्राम पंचायतों के पास है। पालतू, व्यावसायिक और कृषि उपयोग के मवेशियों की अलग-अलग श्रेणी बनाकर इसकी दर में बदलाव करने की जरूरत है।

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    अभी ग्राम पंचायतें छह रुपये प्रतिवर्ष की दर से तांगा, इक्का जैसे नान मोटराइज्ड व्हीकल श्रेणी के साधन से वसूल सकती हैं। एक्ट में संशोधन करके ट्रैक्टर, ई-रिक्शा, मोटरचालित कामर्शियल वाहनों से शुल्क वसूलने की जरूरत है। सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति का शुल्क वसूलने के लिए सिंचित क्षेत्रफल, कृषि या अन्य उपयोग के लिए दर तय करने की आवश्यकता है। राज्य पंचायती राज एक्ट में ग्राम पंचायत को उनके भौगोलिक क्षेत्र में संपत्ति कर वसूलने का अधिकार दिया जाना चाहिए।

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