UP के इन दो जिलों में खुलेंगे पशु चिकित्सा महाविद्यालय, योगी सरकार ने दी स्वीकृति...पशुपालन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
उत्तर प्रदेश सरकार पशुधन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गोरखपुर और भदोही में दो नए पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोल रही है। इन महाविद्यालयों से पशु चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण का स्तर बढ़ेगा पशुधन का संरक्षण होगा और दूध उत्पादन में सुधार होगा। गोरखपुर महाविद्यालय में अस्पताल एकेडमिक ब्लॉक स्टाफ क्वार्टर और छात्रावास होंगे। भदोही महाविद्यालय में 10 एकड़ में एकेडमिक भवन प्रयोगशाला बनेंगे।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में पशुधन और दूध के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दो नए पशु चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की योजना बना रही है। ये महाविद्यालय गोरखपुर और भदोही जिलों में खुलेंगे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा से संबद्ध होंगे।
इन महाविद्यालयों के माध्यम से न सिर्फ प्रदेश में पशु चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण का स्तर बढ़ेगा, बल्कि पशुधन के संरक्षण और दूध उत्पादन में भी सुधार होगा।
सरकार ने पहले चरण में 100 करोड़ रुपये का बजट जारी किया
गोरखपुर में स्थापित होने वाला पशु चिकित्सा महाविद्यालय गोरखपुर-वाराणसी हाईवे पर स्थित ताल नदोर क्षेत्र में 80 एकड़ भूमि पर बनेगा। इसके पहले चरण में 228 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इस महाविद्यालय के निर्माण के लिए फरवरी 2024 के बजट में सरकार ने 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
गोरखपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय में अस्पताल, एकेडमिक ब्लॉक, स्टाफ क्वॉर्टर और छात्रावास जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे छात्रों को बेहतर अध्ययन और शोध करने का अवसर मिलेगा। यह महाविद्यालय क्षेत्रीय पशु चिकित्सा सेवाओं को भी मजबूती प्रदान करेगा।
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भदोही के लिए अभी 50 करोड़ का बजट हुआ है स्वीकृत
वहीं, भदोही में भी एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना की जा रही है, जिसे जोरईं और वेदपुर गांवों में 15 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा। इसके निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस महाविद्यालय में 10 एकड़ में एकेडमिक भवन, प्रयोगशाला और छात्रावास का निर्माण होगा, जबकि 5 एकड़ में ब्लॉक लेवल कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग ने इसके निर्माण के लिए एनओसी भी जारी कर दी है। इस महाविद्यालय में स्नातक, स्नातकोत्तर और पशु चिकित्सा से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
पशुपालकों को शोध सुविधाएं मिलेंगी
इन दोनों महाविद्यालयों के खुलने से प्रदेश के पशुपालकों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और शोध सुविधाएं मिलेंगी, साथ ही पशु चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सुधार होगा। इसके अतिरिक्त, बिहार और नेपाल के पशु पालकों को भी इसका लाभ मिलेगा, जिससे उत्तर भारत के पशु पालन उद्योग को मजबूती मिलेगी।
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