Lucknow News: मोबाइल टावर के नाम पर करोड़ों ठगने वाले पांच जालसाजों को STF ने दबोचा, कई दिनों से चल रही थी तलाश
लखनऊ में मोबाइल टावर के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले पांच जालसाजों को एसटीएफ ने गोमतीनगर विस्तार इलाके से गिरफ्तार किया है। आरोपितों के खिलाफ अमरोहा और रायबरेली में दो मामले दर्ज हैं। साथ ही आरोपितों ने कई और ठगी की घटनाओं को अंजाम देने की बात कबूल की है। आरोपितों के पास से आवेदन पत्र जाली एनओसी व अन्य सामान बरामद हुआ है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। एसटीएफ ने मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गोमतीनगर विस्तार स्थित विदर्भखंड से गिरफ्तार किया है। आरोपितों के खिलाफ अमरोहा और रायबरेली में मुकदमे दर्ज हैं। उनके पास से आवेदन पत्र, फर्जी एनओसी, नकदी और अन्य सामग्री बरामद की है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी प्रमेश कुमार शुक्ला के मुताबिक पकड़े गए आरोपितों में देवरिया के गौरीबाजार स्थित तेंदुआवारी का सुनील श्रीवास्तव, अजय कुमार सिंह, अतीउल्लाह अंसारी, पदुमनाथ दुबे और कुशीनगर कसया स्थित सेमरा का गंगेश्वर पांडेय उर्फ गोलू है।
आरोपितों ने कई टेलीकाम कंपनियों के मोबाइल और वाई-फाई टावर लगाने के नाम पर करोडों की ठगी की है।ये लोग ग्राम प्रधान व अन्य प्रतिष्ठित लोगों से फोन और रजिस्टर्ड पत्र भेजकर कई कंपनियों के मोबाइल व वाइफाइ टावर लगवाने और 25 से 30 लाख रुपये जमानती राशि की मांग करते थे।
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यह भी लालच देते थे कि कंपनी में परिवार के एक व्यक्ति को 25 हजार रुपये की नौकरी और जगह का किराया 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगा। जमानती राशि जमा कराने के बाद गिरोह के सदस्य अपना मोबाइल बंद कर देते हैं। यह गिरोह पिछले 11 वर्ष से सक्रिय है।
डिप्टी एसपी ने बताया कि रायबरेली के पूरे मियां मजरे सहमदा निवासी प्रेम बाबू ने डलमऊ थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
आरोपियों को भेजा गया जेल। जागरण
मकान के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन लेने वाले दो गिरफ्तार
मकान के जाली पेपर गिरवी रखकर बैंक से 30 लाख का लोन लेकर हड़पने वाले दो जालसाजों को कैसरबाग पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित ढाई साल से फरार चल रहे थे। डीसीपी मध्य रवीना त्यागी ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में सुधांशु निवासी सीतापुर (वर्तमान पता विशाल खंड-1) और अनिल कुमार निवासी हरचंदपुर गढ़ी कनौरा आलमबाग हैं।
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उन्होंने बताया कि 21 मई 2022 को कैसरबाग के बीएन रोड स्थित बैंक आफ बड़ौदा के प्रबंधक वीएस यादव ने जाली दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोपितों ने कुर्सी रोड स्थित एक हैंड क्राफ्ट कंपनी का मालिक बनकर वर्ष 2019 में 30 लाख के लोन का आवेदन किया था। आरोपित अनिल ने लोन के एवज में वृंदावन योजना स्थित मकान के पेपर गिरवी रखे थे।
जांच के बाद सितंबर 2019 में लोन स्वीकृत कर दिया गया था। किस्त जमा न होने पर गिरवी मकान के पेपर खंगाले गए तो पता चला कि जाली बैनामा तैयार कर लोन लिया था। आरोपित अनिल के खिलाफ जालसाजी का एक मामला सरोजनीनगर में भी दर्ज है।
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