UP Assembly में सपा ने उठाया गन्ना कीमतों का मुद्दा, योगी सरकार ने रेट न बढ़ाने की बताई बड़ी वजह
UP Assembly Session - उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने गन्ना किसानों की समस्याओं का मुद्दा उठाया जिसमें गन्ने की कीमत में वृद्धि न होने और पिछले वर्ष का बकाया मूल्य न मिलने की बात कही गई। गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने जवाब दिया लेकिन सपा सदस्यों ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन का बहिर्गमन कर दिया।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने विधानमंडल सत्र के छठे दिन मंगलवार को विधानसभा में गन्ना किसानों की समस्याओं व कीमत न बढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया। सपा सदस्य पंकज मलिक व अतुल प्रधान ने कहा कि भाजपा सरकार को किसानों की पीड़ा से कोई मतलब नहीं है।
सरकार ने गन्ना की कीमत तक नहीं बढ़ाई है। पिछले वर्ष का गन्ना बकाया मूल्य भी किसानों को नहीं मिल रहा है। सपा ने छोटे किसानों के सामने आ रही गन्ना बीज की समस्या का मामला भी उठाया।
गन्ना किसानों का भुगतान बहुत जरूरी
गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि समय पर गन्ना किसानों का भुगतान बहुत जरूरी है। दाम बढ़ाए जाने पर किसानों को समय पर भुगतान नहीं हो पाता। उन्होंने पैदावार, गन्ने की नई किस्मों और चीनी मिलों द्वारा किए जा रहे भुगतान से जुड़ी कई जानकारियां सदन को दीं।
सपा ने विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव के रूप में गन्ना किसानों का मुद्दा उठाया था। अतुल प्रधान ने कहा कि आज गन्ना किसान कई चुनौतियों से घिरा हुआ है। उन्हें बेहतर गन्ने की किस्म नहीं मिल पा रही है। लागत काफी बढ़ गई है।
प्रदेश के 70-80 प्रतिशत किसान छोटे जोत के हैं। ऐसे में अब उनकी कमाई नहीं रह गई है। लागत भी बहुत मुश्किल से ही निकल पा रही है। इसलिए सरकार को गन्ने का दाम बढ़ाना चाहिए।
पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब व उत्तराखंड में भी यूपी से ज्यादा गन्ने का दाम मिल रहा है। सपा के नफीस अहमद ने घोसी व सठियांव चीनी मिल की खस्ता हाल के बारे में बताया।
गन्ना मंत्री ने अतुल प्रधान की चुटकी भी ली। कहा कि अतुल जी पश्चिमी यूपी के बड़े किसान परिवार से हैं, लेकिन जोश में आकर वह कुछ भी बोल देते हैं। गन्ने की लागत 10-12 हजार रुपये नहीं, बल्कि एक एकड़ पर एक लाख रुपये से ज्यादा की आती है।
गन्ना मंत्री ने समस्याओं को भी स्वीकारा
इसके बाद, गन्ना मंत्री ने किसानों की समस्याओं को भी स्वीकार किया। बोले, मैं खुद स्वीकार करता हूं कि गन्ने की एक लाख लागत आने के बावजूद हम लोग उन्हें 1.26 लाख रुपये प्रति एकड़ ही दे पा रहे हैं।
गन्ना मंत्री ने सपा विधायक के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि अन्य राज्यों से यूपी की तुलना नहीं की जा सकती है। हरियाणा में एक वर्ष के अंदर 63 लाख क्विंटल, पंजाब में 67 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई होती है, जबकि हमारे यहां एक मिल में ही 150 लाख क्विंटल से ज्यादा गन्ने की पेराई हो जाती है।
पिछले वर्ष प्रदेश में कुल 983 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। ऐसे में यूपी की तुलना अन्य राज्यों से कैसे की जा सकती है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सपा सदस्य पंकज मलिक, अतुल प्रधान व नफीस अहमद ने सदन का बहिर्गमन कर दिया।
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