UP Politics: पीडीए पाठशाला पर निशाना, ओपी राजभर ने बताया सपा के लिए ABCD का मतलब
लखनऊ योगी सरकार और सपा के बीच स्कूलों के विलय पर घमासान जारी है। सपा के पीडीए पाठशाला के जवाब में सरकार ने कहा कि सपा के लिए एबीसीडी का मतलब अराजकता भ्रष्टाचार चोरी और दलाली है। सरकार ने सपा के कार्यकाल में शिक्षा की बदहाली का आरोप लगाया जबकि सपा विलय को दलितों और पिछड़ों से शिक्षा छीनने की साजिश बता रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के विलय पर योगी सरकार और सपा में घमासान तेज हो गया है। पीडीए पाठशालाओं के सहारे सपा लगातार सरकार पर निशाना साध रही है। इनमें दिए जा रहे ए फार अखिलेश के अक्षर ज्ञान को भी सपा सही ठहरा चुकी है और पार्टी मुखिया हर रोज शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। गुरुवार को सरकार की ओर से पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर और बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह ने सपा पर तीखा पलटवार किया।
संदीप सिंह ने जहां सपा के कार्यकाल में शिक्षा की बदहाली की तस्वीर दिखाई तो वहीं राजभर ने सपा के लिए एबीसीडी का मतलब समझाकर हमला बोला। राजभर ने कहा कि सपा के लिए ए से अराजकता, बी से भ्रष्टाचार, सी से चोर और डी से दलाली होता है। उन्होंने एम से मुलायम रुख, वाई से यादववाद और जेड से जीरो बदलाव तक पूरी वर्णमाला का अर्थ बताया।
प्रदेश सरकार के स्कूलों के विलय के निर्णय को सपा, पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यकों (पीडीए) से शिक्षा का अधिकार छीनने की साजिश बता कर विरोध में जुटी है। सपा नेताओं द्वारा पीडीए पाठशालाओं का संचालन किया जा रहा है। इनमें ए फॉर अखिलेश, बी फॉर बाबा साहब आंबेडकर, सी फॉर चौधरी चरण सिंह, डी फॉर डिंपल यादव और एम फॉर मुलायम सिंह यादव का अक्षर ज्ञान कराया जा रहा है।
शुक्रवार को सपा मुखिया ने एक्स पर पोस्ट कर आंकड़े गिनाए और शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न खड़े किए। इसके जवाब में पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी को वाकई एबीसीडी आती होती, तो आज उनकी पार्टी सत्ता से बाहर न होती। जब अखिलेश यादव सत्ता में थे, तब सरकारी स्कूल नकल माफिया और भर्ती घोटालों के लिए कुख्यात थे। सपा ने भ्रष्टाचार को संस्थागत बना दिया था और अपराधियों को संरक्षण दिया।
वहीं संदीप सिंह ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच अखिलेश सरकार में एक भी ऐसा माडल स्कूल नहीं बना, जिसे राज्य, गौरव से दिखा सके। टूटी हुई दीवारें, गिरती हुई छतें, गंदे शौचालय और घटती बच्चों की संख्या, यही उस समय की शिक्षा व्यवस्था का असली चेहरा था। उनके समय में शिक्षा व्यवस्था तुष्टिकरण, भाई-भतीजावाद, नकल माफिया की शिकार थी। जबकि भाजपा सरकार ने पारदर्शिता, निवेश और सोच के साथ इसे बदलने का कार्य किया है।
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